महाराष्ट्र और हरियाणा में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. जिसके मद्देनजर चुनावी सरगर्मियां तेज हैं. सभी पार्टियां जीत के लिए अपना पूरा दमखम लगाए हुए हैं, प्रधानमंत्री मोदी के साथ भाजपा के तमाम नेता और मंत्री राष्ट्रीय मुद्दों को हवा देकर महाराष्ट्र और हरियाणा के लोकल मुद्दों को दबाकर, जनता के रोष से बचना चाहते हैं, वहीं कांग्रेसी महाराष्ट्र और हरियाणा के लोकल मुद्दों पर जनता से संवाद करके भाजपा को सत्ता से बेदखल करना चाहती है.
प्रधानमंत्री मोदी, गृह मंत्री अमित शाह के साथ-साथ तमाम भाजपा के नेता अनुच्छेद 370, तीन तलाक, पाकिस्तान और आतंकवाद जैसे राष्ट्रीय मुद्दों पर महाराष्ट्र और हरियाणा में चुनाव प्रचार कर रहे हैं और अपनी पार्टी के लिए वोट मांग रहे हैं.
बात अगर राष्ट्रीय मुद्दों की भी की जाए तो प्रधानमंत्री मोदी के साथ-साथ तमाम भाजपा के नेता आर्थिक मंदी बेरोजगारी पर बात करने से बच रहे हैं.
भाजपा राष्ट्रवाद के मुद्दे के सहारे महाराष्ट्र और हरियाणा के लोकल मुद्दों को दबाकर विधानसभा चुनाव लड़ रही है, प्रधानमंत्री मोदी खुद विपक्ष के नेताओं को और विपक्ष की पार्टियों को पाकिस्तान परस्त बता रहे है, प्रधानमंत्री मोदी राष्ट्रवाद पाकिस्तान और आतंकवाद के सहारे हरियाणा और महाराष्ट्र में ध्रुवीकरण करने की कोशिश कर रहे हैं.
महाराष्ट्र विधानसभा की अगर बात की जाए तो बीते 5 साल किसानों का मुद्दा सुर्खियों में रहा है, महाराष्ट्र के विदर्भ इलाके में और मराठवाड़ा में सूखे और अकाल के चलते असंख्य किसानों ने खुदकुशी की और उनको मुआवजा तक नहीं मिला. पिछले दिनों महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने चुनाव से पहले जो रथ यात्रा की थी उसमें भी उनको किसानों के विरोध का सामना करना पड़ा था.
महाराष्ट्र में पहले सूखा और उसके बाद बाढ़ के चलते किसानों की फसल की हुई बर्बादी महाराष्ट्र चुनाव का प्रमुख मुद्दा है, लेकिन भाजपा के तमाम नेताओं के साथ प्रधानमंत्री मोदी खुद इन मुद्दों को छूने से बच रहे हैं. मीडिया भी इस पर डिबेट कराने से बच रही है, मीडिया भी इस पर भाजपा के नेताओं से सवाल करने से बच रही है.
आरबीआई द्वारा लगाई गई P.M.C. बैंक के खाताधारकों पर रोक भी P.M.C खाताधारकों के अंदर रोष पैदा कर रही है, कुछ लोगों की अपना खुद का पैसा ना निकाल पाने के कारण हार्ट अटैक से जान भी जा चुकी है. मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों के चलते पूरे देश में जनता तंगहाल है और अगर जनता खुद के आर्थिक हालात को देखकर हरियाणा के साथ-साथ महाराष्ट्र कि विधानसभा चुनाव में अपने मताधिकार का इस्तेमाल करती है तो भाजपा की सत्ता से विदाई तय है.
विपक्ष लगातार महाराष्ट्र और हरियाणा के लोकल जनता के मुद्दों को उठाकर भाजपा को घेरने की कोशिश कर रहा है. अगर महाराष्ट्र और हरियाणा की लोकल जनता ने अपने लोकल मुद्दों को ध्यान में रखकर अपने वोट का इस्तेमाल किया तो भाजपा का दोनों राज्यों से सूपड़ा साफ होना तय है. हरियाणा और महाराष्ट्र चुनाव में आर्थिक मंदी और बेरोजगारी एक प्रमुख मुद्दा है, जिस पर सत्ता दल बात नहीं कर रहा है, सत्ता दल को पूरा भरोसा है कि राष्ट्रीय मुद्दों और राष्ट्रवाद के सहारे जनता के लोकल मुद्दों को दबाकर फिर से सत्ता में वापसी होगी.
बात अगर हरियाणा की, की जाए तो हरियाणा में रोजगार का संकट और आर्थिक बदहाली प्रमुख मुद्दा है, हरियाणा में भी किसानों की अपनी समस्याएं हैं, मौजूदा दौर में हरियाणा के किसानों की बदहाली किसी से छुपी नहीं है, पिछले कुछ सालों में हरियाणा में जातीय आंदोलनों ने खूब सुर्खियां बटोरी है. हरियाणा में बेरोजगारी चरम पर है.
बात अगर विकास की, की जाए तो विकास सिर्फ कागजों में नजर आता है, कई शहरों के साथ असंख्य गांव अभी भी विकास से कोसों दूर है, हरियाणा में लाखों लोग जिनके पास रोजगार था वह बेरोजगार हो रहे है, कई कंपनियां बंद हो चुकी हैं बेरोजगारी का संकट हरियाणा में अपने चरम पर है.
महाराष्ट्र-हरियाणा दोनों ही राज्यों में विपक्ष लगातार आर्थिक मंदी और बेरोजगारी के मुद्दे पर सत्ता पक्ष को और केंद्र की मोदी सरकार को जमकर घेर रहा है, विपक्ष लगातार जनता से जुड़े हुए मुद्दों को उठा रहा है, राज्य और केंद्र की सरकार की नाकामियों को जनता के सामने रख रहा है. अब यहां देखने वाली बात यह होगी कि जनता खुद के मुद्दों पर विधानसभा चुनाव में अपने वोट का इस्तेमाल करती है या फिर खुद के मुद्दे भूलकर फिर से राष्ट्रवाद और ध्रुवीकरण के जाल में फंस जाती है.
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