5 साल की अनगिनत नाकामियों के बाद भी, 2019 का लोकसभा चुनाव भाजपा भाषणों के दम पर और गैर जरूरी मुद्दों को उठाकर जीत गई.
आने वाले महीनों में देश के अंदर कुछ राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, कुछ राज्यों के विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान भी हो चुका है. भाजपा अपनी जीत को लेकर आश्वस्त है. वहीं विपक्ष में सन्नाटा छाया हुआ है, हालांकि विपक्ष मौजूदा समय में सबसे ज्यादा जनता की समस्याएं उठा रहा है लेकिन फिर भी विपक्ष की जीत की संभावना आने वाले विधानसभा चुनाव में ना के बराबर है.
इसके कारण बहुत से नजर आते हैं.
भाजपा ने पिछले दिनों जम्मू कश्मीर से धारा 370 के साथ छेड़छाड़ करके जम्मू कश्मीर को दो टुकड़ों में बांट दिया, दोनों को केंद्र शासित प्रदेशों में तब्दील कर दिया. भाजपा द्वारा ऐसा प्रचारित किया गया जैसे जम्मू कश्मीर 70 सालों से हिंदुस्तान का हिस्सा नहीं था, अब जाकर वह हिंदुस्तान से जुड़ा है.
जम्मू कश्मीर की मौजूदा स्थिति क्या है, इसकी खबर किसी को नहीं है.जम्मू कश्मीर की स्थिति को लेकर मीडिया में कोई सही खबर दिखाने के लिए तैयार नहीं है. मीडिया में जम्मू कश्मीर को लेकर जो कुछ भी खबरें आ रही हैं, वह सिर्फ सरकार के इशारे पर दिखाया जा रहा है. जम्मू कश्मीर की स्थिति सामान्य बताई जा रही है लेकिन है नहीं.
जम्मू कश्मीर के अंदर तमाम तरह की पाबंदियां लगा दी गई हैं भाजपा द्वारा, जम्मू कश्मीर को लेकर कई तरह के ऐलान किए गए हैं. ऐसा कहा गया है कि जम्मू कश्मीर के अंदर नौकरियों की बाढ़ आ जाएगी, हालांकि पिछले पांच-छह साल में देश में नौकरियां नहीं पैदा हुई है.
प्रधानमंत्री मोदी ने 2014 के चुनाव प्रचार में कहा था कि दो करोड़ सरकारी रोजगार देंगे युवाओं को, लेकिन मौजूदा सत्ता के आंकड़े कहते हैं कि रोजगार को लेकर जो दावे किए गए थे वह फेल हो चुके हैं, जो नौकरियां थी उन पर भी संकट के बादल छाए हुए हैं.
इस देश में महिला सुरक्षा एक बड़ा मुद्दा है. देश के अंदर महिलाओं के खिलाफ अपराध का ग्राफ बढ़ा है. भाजपा के कई नेताओं के नाम महिलाओं के खिलाफ अपराध में सामने आए हैं, जिसमें बलात्कार जैसे घिनौने कृत्य भी शामिल है. कुलदीप सिंह सेंगर और चिन्मयानंद जैसे नाम हिट लिस्ट में है. इन अपराधों में सत्ता की गर्मी साफ दिखाई दे रही है. जनता और विपक्ष के दबाव में गिरफ्तारी तो हो चुकी है, कुलदीप सिंह सेंगर और चिन्मयानंद की, लेकिन कार्यवाही न के बराबर है. उन्नाव केस में तो लड़की ने अपना पूरा परिवार खो दिया है और खुद जिंदगी और मौत के बीच झूल रही थी. वही चिन्मयानंद के केस में लड़की जो खुद बलात्कार से पीड़ित है उसकी गिरफ्तारी कर ली गई है.
उन्नाव रेप केस में पहले लड़की की नहीं सुनी गई,उसके बाद उसके पिता की मौत हुई,चाचा की गिरफ्तारी हुई. उसने परिवार को खो दिया, उसको धमकी दी गई, फिर जानलेवा एक्सीडेंट हुआ उसका. ठीक वैसी ही कहानी चिन्मयानंद के केस में भी हो रही है, लड़की की गिरफ्तारी हो गई है और लड़की के परिवार को धमकी दी जा रही है.भाजपा की महिला सुरक्षा और बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के नारे पर सवालिया निशान खड़े हो चुके हैं.
पूरा देश मौजूदा समय में आर्थिक मंदी से गुजर रहा है. सरकार की आर्थिक नीतियां पूरी तरीके से फेल हो चुकी हैं. सरकार ने कॉरपोरेट टैक्स में कटौती का जो दाव खेला था वह भी बेअसर नजर आ रहा है. जीडीपी ग्रोथ में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है. बैंकों की हालत लगातार खराब होती जा रही है इसी बीच पीएमसी बैंक के ग्राहकों को करारा झटका लगा है. आरबीआई द्वारा इस बैंक पर लागू की गई पाबंदी की वजह से इस बैंक के ग्राहक अगले 6 महीने तक ₹1000 से ज्यादा नहीं निकल सकते हैं.
जनता की गाढ़ी कमाई खतरे में है, जनता पहले भी अपने पैसों के लिए लाइन में लग चुकी है, फिर से एक बार महाराष्ट्र के अंदर पीएमसी बैंक के ग्राहकों के लिए बुरी खबर है. रोजगार के अवसर पैदा नहीं हो रहे हैं, जनता की आर्थिक हालत में सुधार नहीं हो रहा है, उसके बाद एक के बाद एक झटके सरकार की तरफ से दिए जा रहे हैं.
फिर भी भाजपा मीडिया प्रचार के भरोसे और पैसों के द्वारा जो खुद भाजपा प्रचार कर रही है, रैलियां कर रही है, उसके भरोसे अपनी हर नाकामी को छुपा ले जा रही है. भाजपा, जनता अपनी समस्याएं पाकिस्तान, आतंकवाद, हिंदू-मुसलमान ,मंदिर-मस्जिद के नाम पर भूल जाए, इस प्रयास में भाजपा लगभग कामयाब हो चुकी है.
कांग्रेस के नेतृत्व में यूपीए की सरकार लगभग 10 वर्षों तक शासन में रही, घोटालों के कई आरोप लगे यूपीए के दूसरे कार्यकाल में. यूपीए के दूसरे कार्यकाल में 2014 चुनाव से ठीक पहले अन्ना हजारे के नेतृत्व में बहुत बड़ा आंदोलन भी सरकार के खिलाफ हुआ था.
देश की जनता के लिए तमाम राहत देने वाली योजनाएं लागू करने के बाद भी, देश की अर्थव्यवस्था में गिरावट ना होने देने के बाद भी ,मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार 2014 का चुनाव हार गई, उसका सबसे बड़ा कारण यही था कि मीडिया सरकार के खिलाफ थी, कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने अपनी योजनाओं के प्रचार पर पैसा खर्चा नहीं किया था, अपनी सरकार के प्रचार के लिए पैसा खर्चा नहीं किया था, मौजूदा समय में जिस तरीके से भाजपा मीडिया को पैसे दे रही है, अखबारों को पैसे दे रही है, उस तरीके से पैसा यूपीए सरकार द्वारा नहीं दिया गया था.
2014 से पहले सरकार के खिलाफ बाबा रामदेव यादव से लेकर तमाम उद्योगपति आवाज बुलंद कर रहे थे, बॉलीवुड जगत से भी सरकार के खिलाफ आवाज उठ रही थी. महंगाई बढ़ने पर, पेट्रोल डीजल के दाम बढ़ने पर अक्षय कुमार और अमिताभ बच्चन जैसे लोग सरकार के खिलाफ खुलकर अपनी बात रख रहे थे, लेकिन मौजूदा समय में महंगाई अपने सारे रिकॉर्ड तोड़ चुकी है, लेकिन 2014 से पहले आवाज उठाने वाले आज मूकदर्शक बनकर खड़े हैं.
राष्ट्र निर्माण, समावेशी विकास और अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करने में मनमोहन सिंह की यूपीए सरकार ने कोई कमी नहीं छोड़ी थी, मुश्किल दौर में भी भारत की अर्थव्यवस्था पर मनमोहन सिंह की सरकार ने आंच नहीं आने दी. जब दुनिया की अर्थव्यवस्था नीचे जा रही थी, उस समय भी अर्थव्यवस्था को उस सरकार ने संभाले रखा था.
प्रधानमंत्री मोदी के पहले कार्यकाल में जनता त्रस्त थी. नोटबंदी और जीएसटी से जनता और व्यापारी परेशान थे, जनता की आर्थिक स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ था, उसके बाद भी पुलवामा के नाम पर, पाकिस्तान के नाम पर, आतंकवाद के नाम पर, सेना के नाम पर चुनाव प्रचार करके भाजपा ने चुनाव जीत लिया और प्रधानमंत्री दोबारा सत्ता में आ गए. विपक्ष बुरी तरीके से धराशाई हुआ था.
मौजूदा समय में भाजपा की मजबूती का सबसे बड़ा कारण मीडिया है. मीडिया में ऐसी कोई खबर देखने को नहीं मिलती, जिससे प्रधानमंत्री मोदी की छवि पर आंच आए या फिर उनकी नाकामी दिखाई जाए . देश के अंदर सैकड़ों नाकामियां मौजूदा समय में मौजूदा सत्ता की मौजूद है, लेकिन मीडिया उसे जनता को नहीं दिखाता. मीडिया में दिनभर पाकिस्तान ,हिंदू-मुसलमान,आतंकवाद, मंदिर-मस्जिद जैसी खबरें दिखाई जाती हैं, डिबेट कराई जाती है,ताकि इन मुद्दों पर जनता की भावनाओं से खेलकर भाजपा देश में मजबूत बनी रहे.
भाजपा आने वाले विधानसभा चुनाव में अगर जीत हासिल करती है तो,उसका श्रेय भी मीडिया को ही जाएगा, क्योंकि देश में महंगाई लगातार बढ़ रही है, पेट्रोल डीजल से लेकर प्याज तक के दाम आसमान छू रहे हैं, डॉलर के सामने रुपया जमीन पर लेटा हुआ है, लेकिन मीडिया इन समस्याओं पर कोई डिबेट नहीं करा रही है सरकार से कोई सवाल नहीं कर रही है.
मौजूदा समय में सत्ता के खिलाफ लीड हासिल करने के लिए विपक्ष के पास खासतौर पर कांग्रेस के पास सिर्फ एक विकल्प बचा है, जनता का साथ लेकर सड़कों पर जब तक कांग्रेस नहीं उतरेगी, तब तक जनता पर भी कोई असर नहीं होने वाला है, मीडिया पर भी कोई असर नहीं होने वाला है, सत्ता पर भी कोई असर नहीं होने वाला है और चुनाव के परिणामों पर भी कोई असर नहीं होने वाला है.
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