आज के समय में अगर कोई किसान खेती के पारंपरिक तरीके को छोड़कर नए तरीके को अपनाता है तभी वह एक सफल किसान है और तभी वह ज्यादा मुनाफा कमा सकता है. कानपुर के किसान रमन शुक्ला ने भी परंपरागत खेती पर ध्यान नहीं दिया और स्ट्रॉबेरी की एक अमेरिकन प्रजाति की खेती शुरू की. जिससे पहली ही बार में उनकी 30 हज़ार की कमाई हुई.
रमन शुक्ला कानपुर, महाराजपुर के भीतरगांव ब्लॉक के दौलतपुर के रहने वाले हैं. आज वो खेती के क्षेत्र में सफलता की ऊंचाइयों पर हैं. रमन ने परंपरागत खेती ना करके लगभग 2 बिस्वा जमीन पर स्ट्रॉबेरी की खेती (Strawberry farming) की शुरुआत की, जिसमें लगभग 20 हजार रुपए की लागत आई.
इसके लिए उन्हें लगभग 3 महीने तक कड़ी मेहनत करनी पड़ी. पहली ही बार के उत्पादन में उन्हें लगभग 30 हजार की आमदनी हुई. उन्होंने बताया कि मार्च अप्रैल आने तक लगभग 2 लाख तक की आमदनी की उम्मीद है. रमन स्ट्रॉबेरी के किसी साधारण प्रजाति की खेती नहीं करते हैं बल्कि अमेरिका के कैलिफोर्निया में होने वाले स्ट्रॉबेरी की कैमारोजा प्रजाति की खेती कर रहे हैं.
रमन की स्ट्रॉबेरी की खेती देख कर बाकी किसान भी उनसे प्रेरित हैं. रमन शुक्ला ने बताया कि दरअसल 2019 में उनके एक परिचित ने स्ट्रॉबेरी की खेती करने का सुझाव दिया था. उसके बाद उन्होंने लखनऊ स्थित एक व्यापारी से बात करके 10 हजार रुपए में स्ट्रॉबेरी की कैमारोजा प्रजाति का एक हजार पौधा कैलिफोर्निया से मंगाया. पौधा मंगाने के बाद उन्होंने 30 अक्टूबर को 2 बिस्वा जमीन पर इसकी रोपाई कर दी.
रमन ने बताया कि उन्होंने स्ट्रॉबेरी की खेती करने में किसी भी तरह के केमिकल का यूज नहीं किया. उन्होंने पूरी तरह से खेतों के लिए गोबर और जैविक खाद का इस्तेमाल किया. जब उन्होंने स्ट्रॉबेरी के पौधे की रोपाई की, उसके लगभग 25 दिनों के बाद ही सारे पौधों के नीचे पॉलिथीन बिछा दी, ताकि फल मिट्टी से ना लगे और उससे बचा रहे.
स्ट्रॉबेरी की कैमारोजा प्रजाति की खासियत
स्ट्रॉबेरी की कैमारोजा प्रजाति अमेरिका के कैलिफोर्निया में ही विकसित हुई प्रजाति है. इसकी खास बात यह है कि इसमें बहुत कम समय में ही फल आने लगते हैं, और अन्य स्ट्रॉबेरी की तुलना में यह बहुत बड़े, मजबूत और स्वादिष्ट भी होते हैं. इसकी मिठास अच्छी होने के साथ-साथ यह विषाणुरोधी भी होते हैं.
रमन ने बताया कि हर रोज 250 ग्राम के 20 डब्बे तक स्ट्रॉबेरी निकल रही है. अब तो व्यापारी इसे खेतों से ही 60 रुपए प्रति डब्बा खरीद कर ले जा रहे हैं. अगर देखा जाए तो रामन ने 1 दिन में 1000 से 1200 तक कमाते हैं और अब तक 30 हजार रुपए कमा चुके हैं. खेतों से डायरेक्ट सेलिंग के साथ-साथ रामन स्ट्रॉबेरी को नौबस्ता, किदवईनगर, गोविंदनगर की बाजारों में भी बेचते हैं.
लागत से 8 से 10 गुना ज्यादा मुनाफा होता है
स्ट्रॉबेरी की खेती के बारे में रमन ने बताया कि इसकी खेती में जितनी लागत आती है उससे लगभग 8 से 10 गुना ज्यादा मुनाफा अवश्य होता है और अगर खेतों में उत्पादन अच्छा हुआ तो आमदनी और भी ज्यादा होगी. रमन के खेतों में भी उत्पादन अच्छा होने पर इस साल उन्होंने लगभग 2 बीघा जमीन में स्ट्रॉबेरी की खेती करने का फैसला लिया है. उस गांव के किसान ओमप्रकाश त्रिपाठी ने बताया कि काफी दूर-दूर से किसान इस स्ट्रॉबेरी की खेती को देखने के लिए आ रहे हैं.
अगर स्ट्रॉबेरी के बारे में और भी ज्यादा बात की जाए तो एक पौधे से हर बार लगभग 1 से 2 किलो तक स्ट्रॉबेरी का उत्पादन होता है. 20 से 30 डिग्री तापमान में इसका बहुत अच्छे से ग्रोथ होता है. अगर आप एक हेक्टेयर में स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे हैं तो इससे 5 से 7 टन की पैदावार होती है. अगर पौधे की ग्रोथ अच्छी रही तो एक हेक्टेयर में 10 टन तक की भी पैदावार हो सकती है.
स्ट्रॉबेरी को 250 ग्राम के डब्बे में पैक करने पर आप इसकी मार्केटिंग बहुत आसानी से कर सकते हैं. एक डब्बे में लगभग 14 से 15 स्ट्रॉबेरी होता है, जिसकी कीमत लगभग 60 रुपए प्रति डब्बा होता है. प्रति किलो की बात की जाए तो बाजार में स्ट्रॉबेरी की कीमत लगभग 240 रुपए प्रति किलो है.
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