सीकर. होली के रंग ललाट से धुलने से पहले आंतक ने सीकर के भाल पर कालिख लगा दी है। सात वर्ष बाद अदालत ने आंतकी संगठन इंडीयन मुजाहिदीन से जुड़े 12 आतंकियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। इनमें से आठ का सीकर से जुड़ाव है। छह मूलत: सीकर के निवासी है। इसके अलावा मारूफ और बरकत का भी सीकर से जुड़ाव है। फैसले की सूचना के साथ ही शहर के दो इलाकों में सन्नाटें का सा आलम हो गया। मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने भी इन इलाकों में चौकसी बढ़ा दी। हर गतिविधि पर नजर रखने के लिए सादा वर्दी में भी पुलिस के जवानों की तैनाती की गई।
फैसले पर खामोशी के साथ चर्चाआईएम मोड्यूल के स्लिपर सेल से जुड़े युवा शहर के तहसील के पीछे के क्षेत्र और मोहल्ला कुरेशियान क्षेत्र के रहने वाले हैं। फैसला आते ही इनके घरों के आसपास खामोशी सी छा गई। आसपास बैठे लोग फैसले पर चर्चा तो कर रहे थे, लेकिन खामोशी से। किसी ने भी इस पर टिप्पणी देना मुनासिब नहीं समझा। इनके परिवार के अधिकतर लोग फैसला की तिथि होने के कारण जयपुर गए हुए थे।
नया नहीं है आतंक से मेलजोलशेखावाटी अंचल का आतंक से मेलजोल नया नहीं है। इंडियन मुजाहिदीन से पहले हुजी और सिमी से जुड़ाव भी सामने आ चुका है। यूपी एटीएस ने करीब दस वर्ष पहले हुजी के सरगना को गिरफ्तार किया तो पूछताछ में सीकर का नाम आया। इस पर पुलिस ने खंडेला से हुजी से जुड़े युवक को पकड़ा। इतना हीं नहीं रामगढ़ शेखावाटी के हवाला कारोबारी से पूछताछ में आईएम के सरगना यासिन भटकल से भी जुड़ाव सामने आ चुका है। गुजरात दंगों के मुख्य आरोपियों में शामिल बाबा खान को भी गुजरात एटीएस ने सीकर से ही गिरफ्तार किया था।
देशद्रोह की नर्सरी के इस तरह से जुड़ी कडिय़ां
सीकर के युवाओं की आंतकी संगठन से जुडऩे की कहानी देशद्रोह की नर्सरी लगाने जैसी है। लेकिन जांच एजेंसी एटीएस ने इसकी कड़ी से कड़ी जोडऩे का काम किया। मामले के जांच अधिकारी एटीएस के तत्कालीन एएसपी अनंत कुमार का कहना है कि आतंकी विचारधारा से जुड़े लोग साक्ष्य छोड़ते नहीं है। ऐसे में इन आरोपियों को सजा दिलवाना चुनौती पूर्ण कार्य था। उन्होंने बताया कि आईएम के यासिन भटकल की गिरफ्तारी से स्लीपर सेल चलने का इनपुट मिला। इस बीच सामने आया कि सीकर में आईएम का एक मोड्यूल काम कर रहा है। ऐसे में स्थानीय पुलिस के सहयोग से सीकर से छह युवकों को गिरफ्तार किया। जयपुर में गिरफ्तार किया गया मारूफ भी मूलत: सीकर का ही निवासी है। गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ के साथ सीकर, जयपुर, जोधपुर, पाली और आगरा से भी कडिय़ां जोड़ी गई।
जिहादी वीडियो देखते थे, बम बनाने का सामान खरीदाएटीएस ने सीकर से छह आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद दूसरे दिन उनके घर का तलाशी अभियान चलाया। इस दौरान वहां पर पैन ड्राइव, सीडी, मोबाइल फोन और लेपटॉप मिला। एटीएस ने इन्हें दिल्ली में कम्यूटर इमरजेंसी रेस्पोंस टीम, इंडिया को भेजकर डाटा रिकवर करवाया तो सामने आता था कि यह युवक जीहादी वीडियो देखते थे। आपस में इसी तरह के फोटो व वीडियो शेयर करते थे। जयपुर में मोड्यूल की गिरफ्तारी के बाद सीकर में एक दुकान पर जाकर अपना लेपटॉल फोरमेट भी करवा दिया था। एटीएस की जांच में यह भी प्रमुख सबूत बना। एटीएस ने दुकान के फुटेज प्राप्त कर लिए।
आतंकवादी से मिलने की लॉकेशन बनी प्रमुख आधारइस मामले में आतंकवादी से मिलने की लॉकेशन सजा का प्रमुख आधार बनी है। एटीएस ने इनकी सीडीआर के साथ लॉकेशन निकलवाई तो सामने आया कि मोड्यूल से जुड़े सीकर के लोगों ने आईएम के आतंकियों से मुलाकात की है। इन्होंने ही इनका ब्रेनवास किया। इसके बाद इन्होंने बम बनाने का सामान खरीदा। विस्फोट के साथ अलग-अलग दुकानों से कील व छर्रे खरीदे गए। एटीएस ने उन दुकानों से बिल प्राप्त कर इनकी शिनाख्त करवाई। जहां पर आतंकियों से मुलाकात की थी वहां पर शिनाख्त करवाई गई। हर तरह की एविडेंस को लिंक किया।
178 गवाह, 30 दिन की जांच अधिकारी से जिरहदेशद्रोही गतिविधि से जुड़े इस मामले में एटीएस ने करीब 178 गवाहों के न्यायालय में बयान करवाए। लेकिन आतंकी संगठन से जुड़ा मामला होने के कारण कई गवाह पक्षद्रोही हो गए। इसके साथ ही 540 सबूतों के साथ 5500 पेज की चार्जशीट पेश की गई। खास बात यह रहीं कि न्यायालय में केवल जांच अधिकारी वर्तमान एएसपी उदयपुर अनंत कुमार से तीस दिन तक जिरह की।
हर्ष की पहाड़ी में किया था बम का ट्रायलप्रदेश के विभिन्न स्थानों पर बम विस्फोट की योजना के तहत कार्य कर रहे सीकर मोड्यूल से जुड़े लोग हर्ष की पहाड़ी में इसका ट्रायल भी कर चुके थे। लेकिन अपनी योजना में आगे बढ़ पाते इससे पहले ही 27 मार्च, 2014 को एटीएस ने मॉड्यूल से जुड़े पांच युवाओं को गिरफ्तार कर लिया। इनके दो दिन बाद इनके अन्य साथी को पकड़ा गया। यहां मॉड्यूल की जड़े जमाने का कार्य मुलत: सीकर हाल जयपुर निवासी मारूफ और बरकत ने किया। गिरफ्तारी से पहले बरकत जोधपुर से अपनी बाइक लेकर सीकर आया था। यहां पर उसने साथियों को टास्क बताया था। इसके बाद वह अपनी बाइक सीकर के रोडवेज बस डिपो के पास गली में छोड़कर बस से रवाना हो गया। बाइक को पुलिस ने बाद में बरामद किया था। मारूफ बम बनाने का प्रशिक्षण भी लेकर आया था। मारूफ और बरकत ने कुरेशियान मोहल्ला निवासी मोहम्मद सज्जाद, जमीदारान मोहल्ला निवासी मोहम्मद आकिब, उमर, अब्दुल माजिद, अब्दुल वाहिद गौरी, रोशन गंज निवासी वकार को मोड्यूल में शामिल किया।
डॉक्टर, इजीनियर से लेकर पेंटर तकआईएम मोड्यूल से जुड़े युवाओं में डॉक्टर व इंजीनियर की पढ़ाई करने वाले छात्रों से लेकर पेंटर तक शामिल है। मोहम्मद वकार उस समय सिविल इंजीनियरिंग का डिप्लोमा कर रहा था। वहीं उमर कोटा में मेडिकल की पढ़ाई कर रहा था। उसके पिता भी सीकर में चिकित्सक है। वहीं सज्जाद पेंटर का कार्य करता था। मोहम्मद वाहिद तहसील कार्यालय के सामने टाइपिस्ट का काम करता था। वह नक्शे भी बनाता था। वाहिद ने ही स्केच और नक्शे तैयार किए थे। इसके बाद इंटरनेट के माध्यम से सभी आपस में जुड़ गए। ये किसी साजिश को अंजाम दे पाते, इससे पहले ही एटीएस ने इन्हें गिरफ्तार कर लिया।
BIG NEWS. सीकर के डॉक्टर, इंजीनियर, पेंटर निकले आतंकी, हर्ष पर किया बम का ट्रायल
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