सीकर.
372 Accidents by Lok Parivahan Bus in Rajasthan : लोक परिवहन बसें सडक़ों पर काल बन कर दौड़ रही हैं। परिवहन बसों में लोगों को यात्रा के नहीं मौत के पास बांटे जा रहे हैं। पिछले चाल साल में प्रदेश में 372 से ज्यादा बड़े हादसे हो चुके हैं। अकेले सीकर में ही तीन साल के दौरन लोक परिवहन बसों के कारण 67 लोगों की मौत हो चुकी है। राजस्थान विधानसभा ( Rajasthan Legislative Assembly ) में भी लोक परिवहन बसों से हो हादसों को लेकर मुद्दा उठाया गया था। इसके बावजूद लोक परिवहन बसों के खिलाफ कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। परिवहन विभाग ( Transport Department ) को भी लोक परिवहन बसों के कारण हो रहे हादसों से कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। परिवहन विभाग ने आखें ही मूंद रखी है। सालासर रोड पर सिहोट छोटी में एक दिन पहले ही लोक परिवहन बस और कार की आमने-सामने से भिडंत में तीन लोगों की मौत हो गई।
चार घायलों का अस्पताल में उपचार चल रहा है। हादसे में एक महिला का पैर कट चुका है। उसका भी जयपुर में उपचार चल रहा है। कार चालक महेंद्र की ओर से सदर थाने में सडक़ हादसे का मुकदमा दर्ज कराया गया है। लोक परिवहन बस चालक की लापरवाही के कारण सामने से आ रही कार से टक्कर हो गई। चालक बस चलाते समय पानी पी रहा था। एएसआई धन सिंह ने बताया कि तीनों मृतक की पहचान की जा चुकी है। तीसरे युवक की पहचान राकेश मेघवाल निवासी बींदासर चूरू के रूप में हुई है। तीनों के शवों का पोस्टमार्टम कर परिजनों को सौंप दिया है। उन्होंने बताया कि हादसे के कारणों की जांच की जा रही है।
बिना परमिट सरपट दौड़ रहीं 600 बसेंआंकड़ों पर नजर डाले तो परिवहन विभाग में करीब तीन सौ बसों का रजिस्ट्रेशन है। इसके बावजूद सडक़ों पर 600 से ज्यादा लोक परिवहन की बसें दौड़ रही है। लोक परिवहन बसें बिना परमिट के ही सडक़ पर चल रही है। साथ ही एक ही परमिट पर तीन से ज्यादा रूटों पर लोक परिवहन की बसें चक्कर लगा रही है। ऐसा नहीं है कि परिवहन विभाग को इसकी जानकारी नहीं है, लेकिन विभाग के लचीले रवैये के कारण बस ऑपरेटर धडल्ले से मोटा मुनाफा कमा रहे है। गत महीने पहले आरटीओ ने नौ बसों का परमिट निलंबन कर दिया था। इसके बावजूद भी बसें मनमर्जी से चलाई गई। विभाग के आदेशों का उन पर कोई असर नहीं पड़ा।
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टारगेट में अव्वल, नियमों में फिसड्डी परिवहन विभाग को हाल ही में टारगेट पूरा करने में राजस्थान में एक नंबर पर घोषित किया गया। जोन में सीकर, चूरू और झुंझुनूं भी शामिल है। विभाग टारगेट पूरा करने में तो अव्वल रहा,लेकिन नियमों को लेकर फिसड्डी हो रहा है। लोक परिवहन की बसें सवारियों के लिए काफी तेल गति में लापरवाही से चलते है। आए दिन रोडवेज बसों और लोक परिवहन बसों के चालकों के बीच में सडक़ पर मारपीट तक नौबत आ जाती है। दो साल पहले भी लोक परिवहन बस के हादसे में 13 लोगों की जान चली गई थी। बस का कई बार फिटनेस कैंसिल हो चुका था।
हादसे की जांच के तीन नियम परिवहन विभाग की ओर से किसी प्रकार का हादसा होने पर तीन नियमों के तहत जांच की जाती है। पहला चालक के पास लाइसेंस है या नहीं। परिवहन विभाग की ओर से बस का फिटनेस और परमिट जारी किया गया है या नहीं। इसके अलावा परिवहन विभाग की टीम हादसे के कारण जांच करती है। हैरानी की बात है कि विभाग की ओर से कारणों की रिपोर्ट पर ध्यान हीं नहीं दिया जाता है।
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स्पीड करेंगे कंट्रोलक्षेत्रीय परिवहन अधिकारी सतीश कुमार ने बताया कि सिहोट छोटी में हुए हादसे की जांच कराई जाएगी। बस चालक के लाइसेंस और बस रजिस्ट्रेशन और परमिट की जांच के बाद कार्रवाई करेंगे। नियमित हो रहे हादसों को रोकने के लिए स्पीड़ कंट्रोल के लिए पुलिस अधीक्षक से अभियान चलाने की बात करेंगे। जिले में दो इंटरसेप्टर हैं।
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