सीकर. कोरोना जैसी आपदा में कुछ लोगों की ओर से कालाबाजारी से लेकर बाल तस्करी के भी ‘अवसर’ तलाशे जा रहे हैं। कई क्षेत्रों में बच्चों को गोद लेने के फेक पोस्ट वायरल होने के बाद बाल अधिकारिता विभाग व चाइल्ड लाइन ने प्रदेशभर में अलर्ट जारी किया है। इसके लिए सभी जिला कलक्टरों को पत्र भी लिखा गया है। विभाग ने आमजन को भी इस तरह के मैसेज के लिंक को नहीं खोलने के लिए आगाह किया है। विभाग के अधिकारियों का मानना है कि इस तरह के फर्जी मैसेज से बाल तस्करी सहित अन्य मामले बढ़ सकते हैं। इसके अलावा डेटा लीक होने की आशंका जताई जा रही है। दरअसल, पिछले दिनों विभाग को सूचना मिली कि कोरोना की वजह से जिन बच्चों के माता-पिता की मौत हो गई उनको गोद देने को लेकर सोशल मीडिया पर कई तरह के मैसेज वायरल हो रहे हैं। विभाग ने इसके बाद अलर्ट घोषित किया है। चाइल्ड लाइन व पुलिस की टीम भी इस तरह के मैसेज पर निगरानी बनाए हुए है।
विभाग करेगा निशुल्क शिक्षा व पोषण का इंतजाम
यदि कोरोना महामारी से किसी बच्चे के माता-पिता की मौत हुई है या कोरोना से माता-पिता बीमार है तो विभाग की ओर से बाल कल्याण समितियों के जरिए ऐसे बच्चों के आश्रय, पोषण व शिक्षा का इंतजाम निशुल्क किया जाएगा। इसके लिए बाल अधिकारिता विभाग में सूचना दी जा सकती है। इस संबंध में ग्रामीण क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों को भी सूचना दी गई है।
विभाग भी जुटा रहा है प्रभावित बच्चों की जानकारीकोरोना से प्रभावित बच्चों की सरकार विभिन्न विभागों के जरिए जानकारी जुटाने में लगी है। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग की ओर से ऐसे बच्चों को पालनहार सहित अन्य योजनाओं का फायदा दिया जाएगा। पिछले दिनों मुख्यमंत्री ने पालनहार से जुड़े बच्चों को कोरोनाकाल में बिना अंकतालिका के राशि स्वीकृत करने के आदेश भी दिए थे।
इस तरह के मैसेज फर्जी
सोशल मीडिया पर बच्चों को सीधे गोद देने वाले मैसेज गलत है। सीधे बच्चों को गोद नहीं दिया जा सकता है। इसके लिए विभाग ने अलर्ट जारी किया है। यदि इस तरह की सूचना मिलती है तो विभाग या चाइल्ड हेल्प लाइन के नंबर 1098 पर शिकायत दर्ज कराई जा सकती है।
प्रियंका पारीक, सहायक निदेशक जिला बाल संरक्षण इकाई, सीकर
एक्सपर्ट व्यू: सीधे गोद देना जुर्म, सजा का भी प्रावधानकोरोना के बाद कई बच्चे अनाथ हो गए हैं। इसको देखते हुए मंत्रालय ने भी देशभर में लोगों को अलर्ट किया है। बच्चों को सीधे गोद देना गैर कानूनी है। इसमें पांच साल तक की सजा का भी प्रावधान है। बच्चे गोद देने व लेने के लिए सीएआरए पोर्टल पर पंजीयन कराना आवश्यक है।सुदीप गोयल, सामाजिक कार्यकर्ता, सीकर
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