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आखिर क्यों कोई कांग्रेस में गांधी परिवार का वर्चस्व नहीं तोड़ सका?

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कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) यानी कांग्रेस की सुप्रीम बॉडी की शनिवार को मीटिंग तो हुई. अगले साल सितंबर तक सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) पार्टी की अध्यक्ष बनी रहेंगी. यानी यूपी, पंजाब, उत्तराखंड, मणिपुर और गोवा में कांग्रेस सोनिया की लीडरशिप में ही चुनाव लड़ेगी, क्योंकि इन 5 राज्यों में 2022 के शुरुआती महीनों में ही चुनाव होना हैं. वहीं गुजरात और हिमाचल प्रदेश में अगले साल के आखिर में चुनाव हैं.
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने खुद को बॉस बताकर जी- 23 को यह साफ संदेश दे दिया है कि अब जो भी बात करनी है, जो भी आपकी आपत्ति है. सब संवाद मुझसे करना होगा. यानि सोनिया गांधी को इस बात का बख़ूबी अंदाजा था कि जब सोनिया गांधी vs G-23 होगा तो कोई ऐसा नेता नहीं हैं जो कांग्रेस अध्यक्ष के फ़ैसलों को चुनौती दे सके. फिलहाल गांधी परिवार (Gandhi family) के बाहर झांकने पर कोई ऐसा सर्वमान्य नेता नजर नहीं आता जो कांग्रेस की बागडोर संभाल पाए.
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने यह भी साफ कर दिया कि पार्टी के नेताओं और अध्यक्ष में बीच में कोई नहीं है जैसे की पहले राजनैतिक सलाहकार हुआ करते थे. जी-23 पार्टी के भीतर असंतोष का प्रतिनिधित्व कर रहा था. सोनिया गांधी ने उस असंतोष को भी ख़त्म करने की कोशिश की है. संगठन चुनाव की घोषणा कर दी है. खुद को पूर्णकालिक अध्यक्ष घोषित कर दिया और अपने दरवाज़े पार्टी के नेताओं के लिए खोल दिए.
एक्सपर्ट्स ये मानते हैं कि कांग्रेस में गांधी परिवार को सीधे चुनौती देने वाला कोई नहीं है. इसके पहले जिन्होंने भी ये कोशिश की उन्होंने मुंह की खाई. राजेश पायलट से लेकर जितेंद्र प्रसाद तक संगठन में चुनाव लड़े थे, लेकिन बुरी तरह हारे. इसलिए यह तो तय है कि आने वाले समय में राहुल गांधी ही कांग्रेस के अध्यक्ष बनाए जाएंगे. पंजाब में जिस तरह से लीडरशिप को बदला गया है, यदि वहां जीत मिलती है तो जो लोग अभी आलोचना कर रहे हैं, वो उल्टा निशाने पर आएंगे.
जिन 7 राज्यों में अगले साल चुनाव होना है, वहां विधानसभा की 951 सीटें हैं और इन सभी में मिलाकर कांग्रेस के अभी कुल 203 विधायक हैं. इन 7 में से सिर्फ पंजाब ऐसा राज्य है, जहां कांग्रेस सत्ता में है, लेकिन वहां भी पार्टी के अंदर भारी उठापटक चल रही है. G-23 ग्रुप के नेताओं को सोनिया गांधी ने मीडिया के बजाय सीधे उनसे बात करने की नसीहत दी है.
पार्टी सुनने को तैयार, झुकने को नहीं
कांग्रेस के फुल टाइम अध्यक्ष का चुनाव अगले साल 21 अगस्त से 20 सितंबर के बीच होगा. यह फैसला कांग्रेस कार्यकारिणी (Congress Working Committee) की बैठक में हुआ. वो बैठक जो करीब पांच घंटे चली. और जिसमें G-23 में शामिल आनंद शर्मा और गुलाब नबी आजाद जैसे नेताओं ने भी हिस्सा लिया. इस बैठक की दो बड़ी बातें- सोनिया गांधी ने कहा कि अगर साथी इजाजत दें तो वो कांग्रेस की लाइफ टाइम अध्यक्षा हैं. दूसरी बात सूत्रों ने बताई कि राहुल गांधी (Rahul Gandhi) कांग्रेस अध्यक्ष बनने पर विचार कर सकते हैं.
कांग्रेस में कुछ तो बदला है
बैठक में सोनिया गांधी ने कहा कि वो आजीवन अध्यक्षा हैं. जाहिर है यह एक भावनात्माक बात है. 2019 से ही बिना अध्यक्ष चल रही पार्टी ने अध्यक्ष पद के चुनाव का ऐलान किया है तो सबको G-23 की मांगों की याद जरूर आ रही है. राहुल गांधी ने जो कहा कि वो अध्यक्ष बनने पर विचार कर सकते हैं, यह इस बात का संकेत है कि कांग्रेस में आत्म चिंतन की स्थिति है.
कांग्रेस में कुछ तो बदला है, इसका सबूत हाल के दिनों में पंजाब में आई समस्या को हैंडल करने के तरीके से भी पता चलता है. जो सिद्धु कह चुके थे कि वो पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष नहीं रहेंगे, उन्होंने अब आलाकमान पर आस्था जताई है. छत्तीसगढ़ में भी नेतृत्व परिवर्तन की मांग उठी थी, लेकिन पार्टी बघेल पर टिकी रही. इससे पहले राजस्थान में गहलोत बनाम पायलट पर पार्टी ने संकल्प दिखाया.
पंजाब से लेकर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के मसले तक, पार्टी ने एक तरह से संदेश दिया है कि वो सुनने को तैयार है, झुकने को नहीं. सोनिया गांधी का यह कहना ध्यान देने योग्य है कि जो कहना है पार्टी में कहिए, मीडिया में नही.
सबसे बड़ी चुनौती यूपी, सिर्फ 7 विधायक
यूपी में कांग्रेस पूरा जोर लगा रही है. लखीमपुर हिंसा के बाद प्रियंका और राहुल गांधी सड़कों पर नजर आए. हालांकि यहां की 403 सीटों में से कांग्रेस के पास अभी सिर्फ 7 सीटें हैं. गुजरात की 182 सीटों में से 66 कांग्रेस के पास हैं. इसी तरह पंजाब में 117 में से 80 और हिमाचल प्रदेश की 68 में से 19 सीटों पर कांग्रेस के विधायक हैं. अगले साल जिन 5 राज्यों में चुनाव हैं, वहां यदि कांग्रेस शून्य पर आती है तो सेंट्रल लीडरशिप सीधे निशाने पर आ जाएगी.
हालांकि मौजूदा परिस्थितियों को देखकर ऐसा लग रहा है कि पंजाब और उत्तराखंड में पार्टी सत्ता में आ सकती है. गोवा में भी चुनावी समीकरण बदल रहे हैं, क्योंकि वहां क्षेत्रीय दलों के साथ ही ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस भी सभी सीटों पर चुनाव लड़ने जा रही है. ऐसे में हो सकता है कि वो कुछ वोट काटें। इससे किसे फायदा-नुकसान होता है ये देखना होगा.
लोकतांत्रिक तरीके से होगा कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव
कार्यसमिति ने कांग्रेस के नए अध्यक्ष के चुनाव पर भी बड़ा फैसला लेते हुए इसकी तारीखों का ऐलान कर दिया, जिसके अनुसार कांग्रेस के नए अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया अगले साल 21 अगस्त से 20 सितंबर के बीच संपन्न होगी. कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक के बाद उसमें लिए गए फैसले की जानकारी एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दी. उन्होंने बताया कि कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव के साथ ही पार्टी की मेंबरशिप से लेकर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के चुनावों की भी तारीख और प्रक्रिया तय हो गई है.
केसी वेणुगोपाल ने पूरी प्रक्रिया की जानकारी देते हुए बताया कि कांग्रेस संगठन चुनाव के लिए एक नवंबर 2021 से चुनावी प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. आवेदनकर्ता पांच रुपए का शुल्क देकर आवेदन फॉर्म भर सकते हैं. यह प्रकिया 31 मार्च 2022 तक जारी रहेगी. इसके बाद 15 अप्रैल 2022 से पहले दिल्ली कांग्रेस कमेटी द्वारा चुनाव के लिए योग्य उम्मदवारों की सूची जारी की जाएगी.
इसके बाद 16 अप्रैल 2022 से 31 मई 2022 तक ब्लॉक कांग्रेस समिति द्वारा प्राथमिक समितियों के अध्यक्ष और कार्यकारिणी का चुनाव और इसके साथ ही ब्लॉक अध्यक्षों और कार्यकारिणी समितियों एवं प्रदेश कांग्रेस समिति के 1 सदस्य का चुनाव होगा. इसके बाद 1 जून 2022 से 20 जुलाई 2022 के बीच डीसीसी के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, कोषाध्यक्ष और कार्यकारी समिति का चुनाव होगा.
इस प्रक्रिया के तहत 21 जुलाई 2022 से 20 अगस्त 2022 तक प्रदेश कांग्रेस कमेटियों के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और कोषाध्यक्षों का चुनाव होगा. इसके साथ ही प्रदेश कांग्रेस समितियों के कार्यकारियों और एआईसीसी के सदस्यों का प्रदेश कांग्रेस समितियों द्वारा चुनाव होगा. इस पूरी प्रक्रिया के बाद 21 अगस्त 2022 से 20 सितंबर 2022 तक कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होगा.
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