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40 दिन बाद जीती जंग, पूरे मौहल्ले में दीवाली जैसा जश्न

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सीकर.अपने तो अपने होते है…। यह गीत कोरोनाकाल में दिल्ली एम्स में कार्यरत सीकर के नर्सिंग ऑफिसरों पर बिल्कुल सटीक बैठता है। कोरोना की दूसरी लहर जब पीक पर थी उस समय सीकर व जयपुर में मरीजों को बेड नहीं मिल रहे थे। उस समय यहां कार्यरत स्टाफ ने अपनों के दर्द को समझा। कई गंभीर मरीजों को दिल्ली एम्स के कोविड अस्पताल में बुलाकर उपचार किया और वह अब जिदंगी की जंग जीत चुके है। इन सभी में लोसल निवासी मुकेश कुमावत के संघर्ष की कहानी अनूठी जो सभी के लिए यादगार बन गई।दरअसल, लोसल निवासी मुकेश सात मई को अचानक कोरोना के लक्षण आए। जांच कराने पर कोरोना की पुष्टि हुई। इसके बाद तबीयत लगातार बिगड़ती गई। कई परिचितों के जरिए सीकर सांवली व जयपुर के कई निजी व सरकारी अस्पतालों में सम्पर्क किया। लेकिन कही बेड नहीं मिला। बीमारी से परेशान मुकेश ने दिल्ली एम्स में कार्यरत नर्सिंग ऑफिसर अभिषेक कुमावत को कॉल कर अपना दर्द बताया। उन्होंने मुकेश को तत्काल दिल्ली बुला लिया। 11 मई को नेशनल कैंसर इंस्टीटूट भाड़सा में भर्ती कराया गया। शुरूआती दौर में लगा कि रिकवरी जल्दी होगी लेकिन स्थिति बिगड़ती गई। 14 मई को मुकेश को सामान्य वार्ड से हाई डिपेंडेंसी यूनिट में शिफ्ट कर दिया गया, तब लगा कि बच पाना मुश्किल है।
फिर शुरू हुई सीकर के युवाअेांं की जंगमुकेश का ऑक्सीजन लेवल भी 30 तक पहुंच गया था। वेंटीलेटर को एनआईवी मास्क के जरिए जोड़ा गया, लेकिन मरीजों को सांसों को जोडऩा मुश्किल हो रहा था। अभिषेक कुमावत ने अपने सभी नजदीकी दोस्तों को इस बारे में बताया और एक वाट्सएप गु्रप बनाया गया। इस गु्रप में लगभग 20 नर्सिंग ऑफिसर जुड़ गए। सभी ने तय किया कि निर्धारित ड्यूटी करने के बाद सभी साथी मुकेश के लिए वालंटियर ड्यूटी करेंगे। इसके बाद कभी भी ऐसा एक भी मिनट नहीं निकला जिसमें मुकेश के पास सीकर का कोई नर्सिँग ऑफिसर नहीं रहा हो। सभी दोस्त पहले आठ घंटे निर्धारित ड्यूटी देते फिर मुकेश के लिए भी सात घंटे ड्यूटी देते। लेकिन मुकेश की हालात स्थिर बनी रही।
संकल्प: मुकेश को छुट्टी नहीं मिलने तक कोई नहीं जाएगा घर
28 मई को सीकर के सभी नर्सिंग ऑफिसर ने तय किया कि मुकेश को जब तक अस्पताल से छुट्टी नहीं मिलेगी कोई घर नहीं जाएगा। लगभग 25 दिन तक गंभीर व स्थिर चल रहे मुकेश की तबीयत में धीरे धीरे हल्का सुधार नजर आने लगा। मुकेश के छोटा भाई जयप्रकाश कुमावत अभिषेक के मकान पर रहे। जब भी कोई मुकेश के पास ड्यूटी करके आता तो जयप्रकाश केवल एक ही सवाल करते कि अब तबीयत कैसी है लेकिन मन में हमेशा डर बना रहता।
14 जून को आई रिपोर्ट निगेटिव, अब ऑक्सीजन लेवल 93
14 जून को मुकेश की कोविड रिपोर्ट नेगेटिव आ गई। 15 जून को एम्स दिल्ली के पलमोनरी डिपार्टमेंट में शिफ्ट कर दिया गया। आखिरकार 20 जून को मुकेश को दिल्ली से सीकर के लिए रवाना किया गया। मुकेश के मौहल्ले में पहुंचने पर हर चेहरे पर खुशियां देखी गई। यहां एक-दो दिन तो चार घंटे रोजाना ऑक्सीजन पर रखा गया। लेकिन अब ऑक्सीजन लेवल 93 पार हो चुका है। कॉलोनी में अभी भी दिल्ली जैसा जश्न है।
और यह बोले, एम्स नर्सेज के अध्यक्षअपनी माटी का कर्जा वैसे तो सात जन्म लेकर भी नहीं चुकाया जा सकता, लेकिन सीकर के नर्सेज ने यहां रहकर अच्छी पहल की। जिससे कई परिवारों को बचाया जा सका। मुकेश के मामले में नर्सेज सदस्यों की पहल ताउम्र याद रहेगी। मुकेश ने भी जज्बा नहीं हारा इस वजह से 40 दिन बाद आखिरकार मेहनत रंग लाई।
हरीश कुमार काजला, अध्यक्ष, एम्स नर्सेज यूनियन

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