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माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की गलती से अटका सैकड़ों विद्यार्थियों का प्रवेश

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सीकर. राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की लापरवाही का खामियाजा प्रदेश के तीन हजार से अधिक विद्यार्थी भुगतने पर मजबूर है। दरअसल, कोरोना की वजह से राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने कक्षा दसवीं व बारहवीं के नियमित विद्यार्थियों को प्रमोट कर दिया। लेकिन प्राईवेट विद्यार्थियों की परीक्षा कराने का ऐलान कर दिया। परीक्षा और परिणाम में देरी की वजह से कक्षा बारहवीं पास करने वाले प्राईवेट विद्यार्थी सरकारी व निजी कॉलेजों में दाखिला नहीं ले पा रहे हैं। राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने पांच अक्टूबर को परिणाम जारी किया। इससे पहले ही 31 सितम्बर को कॉलेज आयुक्तालय ने प्रवेश के लिए बनाए पोर्टल को बना दिया है। अब विद्यार्थियों की मांग को देखते हुए आयुक्तालय ने पोर्टल 18 अक्टूबर तक खोल दिया है। लेकिन विद्यार्थियों की समस्या है कि ज्यादातर कॉलेजों की पहली सूची आने की वजह से सीट पूरी भर चुकी है। ऐसे में यदि उनको सरकारी कॉलेजों में दाखिला नहीं मिल पाता है तो उनको मजबूरन निजी कॉलेज में प्रवेश लेना पड़ेगा। ऐसे में प्रदेशभर के विद्यार्थी कॉलेजों में चक्कर लगाने पर मजबूर है। इस कारण प्राईवेट विद्यार्थियों के साथ उनके अभिभावकों में भी सरकार के खिलाफ आक्रोश है।5713 विद्यार्थियों ने दी परीक्षा, 3228 हुए पासराजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अनुसार प्राईवेट परीक्षा के लिए 7567 विद्यार्थियों ने आवेदन किया था। लेकिन परीक्षा में 5713 ही शामिल हुए थे। इनमें से 3228 विद्यार्थी पांच अक्टूबर को घोषित परिणाम में सफल घोषित किए गए है। परिणाम देरी से जारी होने की वजह से इनका एक साल बर्बाद होने की संभावना बन गई है।इधर, दसवीं बाले विद्यार्थियों की टूटी आसबोर्ड की कक्षा दसवीं की प्राईवेट विद्यार्थियों की परीक्षा के लिए 21 हजार से अधिक विद्यार्थियों ने आवेदन किया था। इनमें से लगभग 18 हजार ने परीक्षा भी दी थी। इनमें दस हजार विद्यार्थी सफल भी हुए। इन विद्यार्थियों की पीड़ा है कि नजदीकी या मनपसंद के स्कूलों में 11 की सीट फुल हो चुकी है। ऐसे में इन विद्यार्थियों की आस भी टूटती हुई नजर आ रही है।विद्यार्थियों का दर्दसीकर निवासी रामनरेश ने अभावों की वजह से कक्षा 12वीं प्राईवेट परीक्षा देकर पास की। इस साल एसके कॉलेज से नियमित पढ़ाई करने का मन था। लेकिन ज्यादातर सीट पूरी हो गई। उनका कहना है कि सामान्य वर्ग में सीट नहीं होने के कारण निजी कॉलेज में प्रवेश लेना पड़ेगा। परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी बेहतर नहीं होने की वजह से फिर से स्वयंपाठी के तौर पर परीक्षाएं देनी होगी।झुंझुनूं निवासी अनिता आर्य ने बताया उन्होंने कोरोनाकाल में 12 वीं पास की है। राजकीय कन्या कॉलेज में जाकर पता करने पर जानकारी मिली कि सीट फुल हो गई है। अब आयुक्तालय ने पहली सूची आने के बाद पोर्टल दुबारा से खोला है। ऐसे में इसका कोई फायदा नहीं है।तिथि बढ़ी, अब 18 तक कर सकेंगे आवेदनकॉलेज आयुक्तालय ने आवेदन की तिथि नए सिरे से बढ़ा दी है। अब विद्यार्थी 18 अक्टूबर तक आवेदन कर सकेंगे। जो सीटें रिक्त उनके आधार पर कट ऑफ घोषित कर प्रवेश दिए जाएंगे।भूपेन्द्र कुमार दुल्लड़, प्राचार्य, राजकीय वाणिज्य महाविद्यालय, सीकरतालमेल के अभाव, इसलिए विद्यार्थियों को परेशानीप्रदेश की सरकारी संस्थाओं में आपसी तालमेल का खासा अभाव है। इस कारण विद्यार्थियों को बिना वजह परेशानी होती है। यदि बोर्ड की ओर से 30 सितम्बर तक परिणाम जारी कर दिया जाता हो यह परेशानी नहीं होती। सरकार को सीट बढ़ाकर ऐसे विद्यार्थियों को राहत देनी चाहिए।डॉ. कमल सिखवाल, सीकरएक तरफ सरकार उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने के दावे कर रही है दूसरी तरफ खुद ही प्राईवेट विद्यार्थियों के साथ मजाक कर रही है। इस तरह की चूक पहले कभी नहीं देखी गई। बोर्ड व कॉलेज आयुक्तालय इसके लिए कोरोना को दोषी ठहरा रहा है। सरकार को कला, वाणिज्य व विज्ञान संकाय में इन विद्यार्थियों के लिए तीन हजार से अधिक सीट बढ़ानी होगी।डॉ. अरविन्द भूकर, सीकर

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