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उदयपुर की झीलों का संरक्षण भूल गया प्रशासन

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जोधपुर.
राजस्थान हाईकोर्ट (rajasthan highcourt) ने उदयपुर (udaipur) शहर की झीलों के संरक्षण को लेकर पूर्व में जारी आदेशों की पालना नहीं होने पर नाराजगी जताते हुए उदयपुर जिला कलक्टर (district collector udaipur), नगर विकास न्यास (uit udaipur) और नगर निगम (nagar nigam udaipur) को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।
हाईकोर्ट ने उदयपुर शहर में झीलों (Lakes in udaipur city) की बदहाल स्थिति को देखते हुए वर्ष 2014 में स्वप्रसंज्ञान के आधार पर जनहित याचिका दर्ज की थी।
याचिका की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने दो न्याय मित्र नियुक्त किए, जिन्होंने समय-समय पर झीलों का निरीक्षण कर कोर्ट के सम्मुख वस्तुस्थिति रिपोर्ट पेश की।
कोर्ट ने पिछले साल 2 फरवरी को जनहित याचिका निस्तारित करते हुए उदयपुर जिला कलक्टर की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित करने के आदेश दिए थे, जिसे हर तीन महीने में एक बार बैठक आयोजित कर झीलों के संरक्षण के लिए कदम उठाने थे।
कमेटी में जिला कलक्टर के अलावा, सचिव, यूआइटी, उदयपुर, आयुक्त नगर निगम, क्षेत्रीय अधिकारी, राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, जीपी सोनी, सेवानिवृत्त अधिशासी अभियंता-जल संसाधन विभाग, प्रवीण खंडेलवाल और अधिवक्ता संजीत पुरोहित को सदस्य बनाया था।
कमेटी की नियमित बैठक आयोजित नहीं करने पर इस वर्ष के प्रारंभ में एक सदस्य ने हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार को एक पत्र लिखकर सूचित किया था।
इस पर जनहित याचिका सोमवार को पुन: सुनवाई के लिए सूचीबद्ध हुई। न्यायाधीश संगीत लोढ़ा और न्यायाधीश पीके लोहरा की खंडपीठ में सुनवाई के दौरान न्याय मित्र संजीत पुरोहित ने बताया कि अवमानना के नोटिस के बाद जुलाई माह में एक बैठक आयोजित की, लेकिन कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया।
उन्होंने बताया कि उदयपुर की संपूर्ण झील प्रणाली महत्वपूर्ण है, इसकी नियमित सफाई, सौंदर्यीकरण और संरक्षण आवश्यक है। इनमें फतेह सागर झील (Fateh Sagar Lake), पिछोला झील, स्वरूप सागर(swaroop sagar), उदय सागर(udaisagar), बड़ी का तालाब और कुमारिया तालाब प्रमुख हैं।

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