Oxygen lavel jumped in the blood for a few hours…- लापरवाही: एक मरीज, रिपोर्ट दो-सटीक इलाज के अभाव में तड़पता रहा मरीजसीकर. देश के सरकारी चिकित्सालय(govt. hospitals) कितना भी दम भर लें लेकिन उनकी विश्व स्तरीय कहे जाने वाली सेवाएं कितनी विश्वसनीय व कामगार है यह किसी से नहीं छिपा है। सीकर के एक बड़े सरकारी चिकित्सालय में एक ही मरीज (patient)की दो रिपोर्ट पेश की गईं, सुबह अलग और शाम को बिल्कुल अलग। ये रिपोर्ट ऐसी कि डॉक्टर खुद विश्वास नहीं करें।.
सुबह से शाम तक मरीज के साथ होता रहा खिलवाड़!
जिला मुख्यालय स्थित कल्याण अस्पताल (s k hospital) में बनी जिला स्तरीय लैब ही मरीजों की जांच की सत्यता को लेकर गंभीर नहीं है। इसकी बानगी है कि उल्टी-दस्त की शिकायत होने पर ओपीडी में दिखाने के बाद जिला स्तरीय लैब में जाकर खुद सैम्पल दिया तो रिपोर्ट में नीतू नाम की हीमोग्लोबिन 5.6 बताया गया। इस पर परिजनों ने फौरन फीमेल मेडिकल वार्ड में युवती को भर्ती करा दिया और चिकित्सक ने भी मरीज को खून चढ़ाने की सलाह दी। लेकिन जब दोपहर बाद वार्ड में भर्ती होने के मरीज का सेम्पल लेकर भेजा गया तो शाम को आई रिपोर्ट देखकर चिकित्सक सहित स्टाफ के होश उड़ गए। एक ही मरीज की दो-दो रिपोर्ट होने की वजह से स्टाफ की समझ में नहीं आया कि मरीज को खून चढ़ाएं या नहीं। परिजनों ने दो रिपोर्ट होने को लेकर शिकायत दी तो स्टॉफ ने बात करने से भी मना कर दिया।
दूसरे मरीज की दी रिपोर्ट, शुरू कर दिया इलाज
नीतू नाम की युवती की दो रिपोर्ट होने की जानकारी मिलने के बावजूद भी लापरवाही थमी। मरीज का इलाज भी पुरानी रिपोर्ट के आधार पर शुरू कर दिया गया। स्टॉफ ने उस रिपोर्ट को ही दूसरे मरीज को होना बताकर पल्ला झाड लिया और यही नहीं दूसरे मरीज की रिपोर्ट के आधार पर उपचार भी शुरू कर दिया। दोनो रिपोर्ट जिस मरीज के नाम से उसके नाम के कारण परेशानी हुई है।
बहुत गलत है…किसी दूसरे मरीज की रिपोर्ट देना भी गलत है। दो रिपोर्ट होने की स्थिति में स्टाफ को मरीज की दोबारा जांच करवानी चाहिए। मामले को लेकर स्टाफ से बात की जाएगी।
-डा. अशोक चौधरी, पीएमओ कल्याण अस्पताल
चंद घंटे और खून में ऑक्सीजन ने लगाई छलांग! सुबह 5.6 हीमोग्लोबिन शाम को 12.8 पर जा पहुंचा !
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