कांग्रेस देश की राजनीति में अप्रत्याशित रूप से बंपर वापसी करने की फिराक में है. राहुल गांधी (Rahul Gandhi) और प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) लगातार कांग्रेस को मजबूत करने की दिशा में एक के बाद एक बड़े कदम उठा रहे हैं. मीडिया भले ही कांग्रेस के बारे में कुछ भी अफवाह फैलाए, लेकिन हकीकत यही है कि कांग्रेस धीरे-धीरे मजबूत होने लगी है राहुल और प्रियंका के नेतृत्व में.
मीडिया की हेडलाइन में भले ही कांग्रेस को जगह नहीं मिल रही हो, भले ही कांग्रेस की नेगेटिव चीजें मीडिया में दिखाई जा रही हो लेकिन मीडिया हेडलाइन से हटकर कॉन्ग्रेस उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में भी पहली बार अपना कैडर मजबूत करने पर ध्यान दे रही है. कांग्रेस के कई नेताओं का कहना है कि कांग्रेस का कैडर नहीं बल्कि विचारधारा को लेकर चलने वाली पार्टी रही है. लेकिन अब विचारधारा के साथ-साथ कैडर मजबूत करने पर भी पहली बार उत्तर प्रदेश में ध्यान दिया जा रहा है प्रियंका गांधी के नेतृत्व में.
बेदाग छवि के युवा नेताओं को जोड़ने की कोशिश.
राजनीतिक गलियारों में जोर शोर से इस बात की चर्चा है कि जेएनयू के पूर्व अध्यक्ष और तेजतर्रार युवा नेता कन्हैया कुमार (Kanhaiya Kumar) बहुत जल्द कांग्रेस पार्टी में शामिल हो सकते हैं. कन्हैया कुमार की मुलाकात कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व से दिल्ली में हो चुकी है. कांग्रेस के कई नेता कन्हैया कुमार को कांग्रेस में शामिल करवाना चाहते हैं और हो सकता है आने वाले कुछ ही दिनों में कांग्रेस पार्टी कन्हैया कुमार ज्वाइन कर ले.
कांग्रेस के सूत्रों के हवाले से जो खबरें आ रही हैं उसके मुताबिक राहुल गांधी और प्रियंका गांधी इस प्रयास में लगे हुए हैं कि बेदाग छवि के युवा नेताओं को पार्टी से जोड़ा जाए. ऐसे युवा नेताओं को पार्टी में शामिल कराया जाए जो मेहनती हो, विचारधारा के लिए लड़ना जानता हो और जिसके ऊपर अभी तक कोई दाग ना हो भ्रष्टाचार का. बीजेपी कई कांग्रेस के नेताओं को और विपक्षी पार्टियों के नेताओं को ED, सीबीआई के माध्यम से डरा धमका कर मुंह बंद करवाती है या फिर अपनी पार्टी में शामिल करवा लेती है. कॉन्ग्रेस इसकी काट ढूंढ रही है.
निश्चित तौर पर कन्हैया कुमार जैसे तेजतर्रार और बेदाग छवि के युवा नेताओं को बीजेपी किसी ईडी और सीबीआई के माध्यम से डरा धमका नहीं पाएगी यह बात बीजेपी भी बहुत अच्छे से जानती है. उत्तर प्रदेश की तरह ही बिहार में भी लंबे समय से कांग्रेस काफी कमजोर है. कन्हैया कुमार के कांग्रेस ज्वाइन करने के बाद राष्ट्रीय स्तर के साथ-साथ बिहार में भी कांग्रेस को निश्चित तौर पर मजबूती मिलेगी.
कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों से जो खबरें मिल रही हैं उसके मुताबिक कन्हैया कुमार की दिल्ली में कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व से बैठक हो चुकी है. देश के युवा और पढ़ें लिखे नेता जिनकी क़मीज़ पर दाग़ नहीं है. ऐसे नेताओं को इक्कठा करने की मुहिम चल रही है. और यह मुहिम आने वाले सालों में कांग्रेस के साथ-साथ निश्चित तौर पर देश के लिए भी फायदेमंद रहेगी. निश्चित तौर पर कन्हैया कुमार के पास देश के इतिहास का, मौजूदा मुद्दों का अच्छा खासा नॉलेज है और यह उनके भाषणों में और डिबेट में भी दिखाई देता है.
कन्हैया कुमार के शामिल होने से बीजेपी के पास मुद्दा?
कन्हैया कुमार (Kanhaiya Kumar) अगर कांग्रेस पार्टी ज्वाइन करते हैं तो निश्चित तौर पर बीजेपी और मीडिया मिलकर कांग्रेस को भी बदनाम करेगी. और कन्हैया कुमार को भी एक बार फिर से बदनाम करने की कोशिशें होंगी. क्योंकि कन्हैया कुमार पर मीडिया और बीजेपी ने मिलकर एक साजिश के तहत आरोप लगाया था कि कन्हैया कुमार ने जेएनयू के अंदर देश विरोधी नारे लगाए थे.
अगर कन्हैया कुमार ने देश विरोधी नारे लगाए थे तो फिर इतने दिनों से बीजेपी की सरकार है, दूसरी बार प्रधानमंत्री बन चुके हैं नरेंद्र मोदी, इसके बावजूद कन्हैया कुमार जेल के बाहर क्या कर रहे हैं? इस बार यह सवाल बीजेपी और मीडिया दोनों से पूछा जाएगा. इसलिए मीडिया और बीजेपी का सामने वाले व्यक्ति को बदनाम करने का यह पुराना तरीका कन्हैया कुमार पर कारगर साबित नहीं हो पाएगा.
अभी देखा जाए तो 70 सालों तक देश पर राज करने वाली आजादी की लड़ाई के संघर्ष निकली हुई कांग्रेस आज काफी कमजोर हो गई है. निश्चित तौर पर राहुल गांधी और प्रियंका गांधी कांग्रेस को मजबूत करने में लगे हुए हैं. इसके साथ-साथ आरएसएस और बीजेपी की विचारधारा से डटकर मुकाबला भी कर रहे हैं. लेकिन गिने-चुने कांग्रेस के दूसरे नेताओं को छोड़ दिया जाए तो कांग्रेस का पूरा भार इस समय राहुल और प्रियंका के कंधों पर है. कन्हैया कुमार जैसे नेता कांग्रेस ज्वाइन कर लेते हैं तो इससे निश्चित तौर पर राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को भी मजबूती मिलेगी और सहारा मिलेगा.
कन्हैया कुमार के कांग्रेस ज्वाइन करने से निश्चित तौर पर कांग्रेस को बिहार में एक तेजतर्रार और युवाओं को कांग्रेस की तरफ आकर्षित करने वाला नेता मिल जाएगा. इसके साथ-साथ कन्हैया कुमार सिर्फ राज्य स्तर के नेता बनकर नहीं रह जाएंगे अगर वह कांग्रेस ज्वाइन करते हैं तो. कन्हैया कुमार निश्चित तौर पर आने वाले कुछ सालों में अपनी छाप पूरे देश पर छोड़ेंगे कांग्रेस पार्टी में रहते हुए.
कन्हैया कुमार को निश्चित तौर पर पूरे देश का युवा सुनना चाहता है. कन्हैया कुमार को युवा सुनते भी रहे हैं, लेकिन कन्हैया कुमार अभी जिस पार्टी में है उस पार्टी का आधार पूरे देश में नहीं है और कन्हैया कुमार जैसा नेता अगर कांग्रेस पार्टी ज्वाइन करता है तो इससे निश्चित तौर पर कांग्रेस को भी मजबूती मिलेगी. एक पढ़ा लिखा युवा जो हर मुद्दे पर अपनी राय रखता रहा है, वह कांग्रेस पार्टी के अंदर रहकर किसी मुद्दे पर अपनी बात रखता है तो निश्चित तौर पर उसकी बात को मीडिया से लेकर विपक्षी पार्टियों तक खास तौर पर बीजेपी को गंभीरता से लेना पड़ेगा.
उत्तर प्रदेश के चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन आने वाले विधानसभा चुनाव में चाहे जैसा भी हो लेकिन इतना जरूर कहा जा सकता है कि कांग्रेस बूथ लेवल तक गांव-गांव तक एक मजबूत कैडर तैयार करने में जरूर लगी हुई है और अगर कांग्रेस कैडर बेस पार्टी हो जाती है तो यह आने वाले कई सालों तक कांग्रेस के लिए फायदेमंद रहेगा.
बात नेताओं की
पिछले दिनों कांग्रेस छोड़कर बीजेपी ज्वाइन करने वाले नेताओं की लंबी कतारें देखी गई. जिसमें ज्योतिरादित्य सिंधिया और जितिन प्रसाद जैसे नेता शामिल थे. हालांकि जितिन प्रसाद कांग्रेस गठबंधन की सरकार में केंद्रीय मंत्री रह चुके थे, लेकिन उनका कोई खास आधार उत्तर प्रदेश में है नहीं. ब्राह्मण नेता होने के अलावा उनके पास और कोई भी प्लस प्वाइंट है नहीं. वह लगातार चुनाव हारते रहे थे.
यही हाल सिंधिया का भी था. सिंधिया ने भी विपक्ष में रहकर लंबे समय तक जनता के लिए संघर्ष करने की जगह सत्ता सुख भोगना ज्यादा जरूरी समझा और वह बीजेपी में शामिल हो गए, वह भी कांग्रेस की सरकार गिराकर मध्यप्रदेश में. आज मध्य प्रदेश मे कानून व्यवस्था की धज्जियां उड़ रही है, ध्रुवीकरण करने की कोशिश की जा रही है, एक धर्म विशेष को जय श्री राम बोलने पर मजबूर किया जा रहा है. लेकिन सिंधिया के मुंह से आवाज नहीं निकल रही है.
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देश के पढ़े लिखे, जिनके कमीज पर दाग नहीं है ऐसे युवा नेताओं को इकट्ठा करने की मुहिम चल रही है
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