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उद्धव ठाकरे ने बयान दिया है कि अगर वीर सावरकर देश के प्रथम प्रधानमंत्री होते तो पाकिस्तान नहीं बनता

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इस देश में कुछ पार्टियों के नेताओं द्वारा राजनीतिक लाभ लेने के लिए लगातार ऐसे बयान दिए जा रहे हैं, जिससे देश के युवाओं को गुमराह किया जा सके और ऐतिहासिक तथ्यों से छेड़छाड़ की जा सके.

हिंदुस्तान के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के प्रधानमंत्री बनने से पहले ही पाकिस्तान का निर्माण हो चुका था. हिंदुस्तान 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ और पाकिस्तान 14 अगस्त 1947 को.

उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव को देखते हुए तत्कालीन राजनीतिक लाभ लेने के लिए जो गलत बयानी की है, उसमें उन्होंने यह भी कहा है कि नेहरू को मैं वीर तब कहता जब वह वीर सावरकर की तरह 1 दिन भी जेल में रहे हो तो.

पंडित नेहरू गुलाम भारत में सबसे ज्यादा दिनों तक जेल में रहने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे. लगभग 13 साल पंडित नेहरू जेल में रहे और उन्होंने जेल से छूटने के लिए कभी भी सावरकर की तरह अंग्रेजों से माफी नहीं मांगी, माफीनामें नहीं लिखें.

जहां तक वीर सावरकर के प्रथम प्रधानमंत्री बनने का सवाल है तो जनता जिसके साथ थी जनता ने आजादी की लड़ाई जिस पार्टी की छत्रछाया में और साथ लेकर लड़ा था, उस पार्टी का व्यक्ति प्रधानमंत्री बना था.

उद्धव ठाकरे क्या जनता को बताएंगे कि सावरकर के साथ उस वक्त देश की जनता थी या नहीं थी? वीर सावरकर ने अंग्रेजों के खिलाफ जनता का साथ लेकर कोई आंदोलन किया था या नहीं किया था? अंग्रेजों के खिलाफ कोई लड़ाई लड़ी थी या नहीं लड़ी थी?

सावरकर अंग्रेजों से माफी मांग कर काला पानी की सजा से मुक्त हुए थे, अंडमान की सेल्यूलर जेल में वीर सावरकर को तेल मिल में अंग्रेजों ने लगाया था वह अकेले व्यक्ति नहीं थे उस समय, जिनको काला पानी की सजा हुई थी, लेकिन सावरकर ने अंग्रेजों के सामने कई दया याचिका लगाई थी और सावरकर ने ब्रिटिश हुकूमत से कहा था कि जिस तरह भी संभव होगा वह सरकार के लिए काम करेंगे, सावरकर का कहना था कि अंग्रेजों द्वारा उठाए गए सुधारात्मक कदमों से उनकी संवैधानिक व्यवस्था में आस्था पैदा हुई है.

सावरकर ने अपनी दया याचिका में यह भी लिखा था कि भारत और दूसरी जगहों पर रहने वाले उनके भटके हुए समर्थक जो युवा हैं उनको मुख्यधारा में वह ले आएंगे यानी अंग्रेजों का समर्थक बनाएंगे जो लोग भी मुझे यानी सावरकर को अपना मार्गदर्शक मानते हैं. यह लिखते हुए सावरकर ने एक झटके में हिंदुस्तान के क्रांतिकारी आंदोलन को छोड़ दिया था. सावरकर लगातार अंग्रेजी हुकूमत के सामने झुकते रहे.

जहां तक सावरकर अगर प्रधानमंत्री बनते तो पाकिस्तान नहीं बनने देते इसका सवाल है तो, हिंदू महासभा आरएसएस और तमाम इससे जुड़े हुए नेताओं ने या फिर हिंदू महासभा और आरएसएस उस समय जिनको अपना प्रेरणा स्त्रोत मानता था उन्होंने पहले ही दो राष्ट्र की थ्योरी दे दी थी जिसे बाद में जिन्ना ने गोद लिया था.

सबसे पहले दो राष्ट्र और हिंदू राष्ट्र की थ्योरी राजनारायण बसु और उनके दोस्त नबागोपाल मित्रा ने ने 18वीं शताब्दी में ही दी थी.

गोपाल मित्रा ने कहा था कि, राष्ट्रवाद के लिए एकता ही कसौटी है जो हिंदू हैं उनके लिए राष्ट्रीय एकता का आधार हिंदू धर्म होना चाहिए, मित्रा का मानना था कि हिंदू राष्ट्र का बनाया जाना हिंदुओं की नियति है. इन्होंने बंगाल में हिंदू मेले का आयोजन भी किया था. यह मेला 1867 से 1880 तक लगातार लगता रहा, इन्होंने एक सोसाइटी भी बनाई थी जो लगातार हिंदुओं के बीच काम करती थी.

मुसोलिनी से मुलाकात के बाद डॉ. बीएस मुंजे के भी यही विचार थे.

डॉ. बीएस मुंजे हिंदू महासभा से जुड़े हुए थे और आरएसएस के भी प्रेरणा स्त्रोत थे, डॉ. बीएस मुंजे ने 1923 में हिंदू महासभा के तीसरे अधिवेशन में यह बात कही थी कि, जैसे इंग्लैंड अंग्रेजों का, फ्रांस फ्रांसीसीयों का तथा जर्मनी जर्मन नागरिकों का है, वैसे ही हिंदुस्तान हिंदुओं का है. अब हिंदू अपना संसार बनाएंगे और शुद्धि तथा संगठन के द्वारा फलेंगे-फूलेंगे.

गदर पार्टी के लाला हरदयाल का नाम भी इसी कड़ी में शामिल है.

लाला हरदयाल विदेश में रहकर गदर पार्टी संचालित करते थे, उनका भी रुझान हिंदूवादी ही था. 1925 में उन्होंने एक लेख लिखा था जिसमें स्पष्ट अलग हिंदू राष्ट्र की बात लिखी थी, इसके अलावा अफगानिस्तान के मुसलमानों को भी जबरदस्ती हिंदू बना डालने की सलाह दे डाली थी.

इसी सिलसिले को आगे चलकर विनायक दामोदर सावरकर ने आगे बढ़ाया था, उन्होंने अपनी किताबों हिंदुत्व और हिंदुत्व के पंचप्राण में स्पष्ट रूप से दो राष्ट्र के सिद्धांत की व्याख्या की थी.

विनायक दामोदर सावरकर का स्पष्ट रूप से कहना था कि हिंदू अलग राष्ट्र है जबकि मुसलमान अलग.

इसके अलावा सन 1937 में अहमदाबाद में हिंदू महासभा के वार्षिक अधिवेशन में अपने भाषण में दामोदर सावरकर ने कहा था, हिंदुस्तान में दो प्रतिद्वंदी राष्ट्र रह रहे हैं. सैकड़ों सालों से हिंदू और मुसलमान के बीच सांस्कृतिक रूप से धार्मिक रूप से और राष्ट्रीय प्रतिद्वंद्विता के जो नतीजे तक हम पहुंचे हैं, उसको देखकर यह कतई नहीं माना जा सकता कि हिंदुस्तान एक एकता में पिरोया हुआ और मिलाजुला राष्ट्र है, बल्कि इसके विपरीत भारत में मुख्य तौर पर दो राष्ट्र हैं हिंदू और मुसलमान.

ऐतिहासिक तथ्यों पर नजर डालें तो आरएसएस और हिंदू महासभा से जुड़े हुए लोगों और इनके प्रेरणा स्रोतों ने ही 2 राष्ट्र की थ्योरी गढी थी, जिसको एक के बाद एक यह लोग आगे बढ़ाते रहें और बाद में जिन्ना ने इनकी थ्योरी को गोद लिया और अलग देश पाकिस्तान की मांग की.

शिव सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष उद्धव ठाकरे को विधानसभा चुनाव में राजनीतिक फायदे के लिए देश के ऐतिहासिक तथ्यों से छेड़छाड़ करने से पहले यह बात भी बतानी चाहिए कि सावरकर ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस के साथ गद्दारी क्यों की थी? जब हिंदुस्तान की आजादी के लिए नेताजी सुभाष चंद्र बोस जापान की मदद लेने गए थे, तो उस समय संघ ने अंग्रेजों का साथ दिया. हिंदू महासभा ने अंग्रेजों का साथ दिया.

हिंदू महासभा ने वीर सावरकर के नेतृत्व में ब्रिटिश फौजों में भर्ती के लिए शिविर लगाए और सावरकर ने लोगों से अपील की की जहां तक हिंदुस्तान की सुरक्षा का सवाल है, हिंदू समाज को भारत सरकार के (यानी उस समय ब्रिटिश हुकूमत थी उसके) युद्ध संबंधित प्रयासों में सहानुभूति पूर्ण सहयोग की भावना से बेहिचक जुड़ जाना चाहिए.

उद्धव ठाकरे राजनीतिक लाभ लेने के लिए जनता को लगातार गुमराह करते रहते हैं क्या इस देश में सत्ता में बने रहना ही एकमात्र राजनीतिक पार्टियों का लक्ष्य रह गया है? जिसके लिए यह लोग आजादी के इतिहास के साथ छेड़छाड़ करने के लिए तैयार हैं?

सच्चाई यह है कि मौजूदा समय में आरएसएस. जैसे फांसी वादी संगठन और इसका समर्थन करने वाले राजनीतिक दलों और नेताओं को यह बात भलीभांति पता है कि, मौजूदा समय में उत्तेजना फैलाने और षड्यंत्र रचने में आरएसएस को इस समय कोई भी मात नहीं दे सकता और इन लोगों को पूरा भरोसा है कि यह लोग जनता को गुमराह कर देंगे तथ्यों के साथ छेड़छाड़ करके भी.

पाठकों से अपील है जहां कहीं भी इस फासीवादी संगठन से जुड़े हुए लोग देश को गुमराह करने की कोशिश करें, देश को धोखे में रखने की कोशिश करें, आजादी के इतिहास के साथ छेड़छाड़ करने की कोशिश करें आप लोग इनका जवाब दीजिए.

यह भी पढ़े : भारत में मीडिया द्वारा मानो धर्म की चादर ओढ़ कर,अपराध करने का लाइसेंस दिया जा रहा है

राष्ट्र के विचार
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