जयपुर छात्रसंघ चुनावों में छात्र संगठन एबीवीपी ने इस बार भाजपा की तर्ज पर अपनी रणनीति में बदलाव किया हैं। यही कारण है कि इस बार छात्रसंघ चुनावों की तिथि की घोषणा होने के दस दिन में ही एबीवीपी ने भाजपा की तर्ज पर विश्वविद्यालयों में भी अपने उम्मीदवारों की घोषणा पहले ही कर दी हैं। वहीं कांग्रेस समर्थित एनएसयूआई अभी तक सिर्फ एक ही विश्वविद्यालय अपना उम्मीदवार पाई हैं। गत चुनावों में प्रदेश के विश्वविद्यालयों में हुई हार से सबक लेते हुए भाजपा समर्थित मानी जाने वाली एबीवीपी ने लोकसभा और विधानसभा चुनावों की तरह ही एनएसयूआई के उम्मीदवारों से नाम घोषित होने से पहले ही अपने अध्यक्ष पद के उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर दी हैं। चुनाव की तिथि घोषित होने के बाद एबीवीपी ने पहला टिकिट महिला को दिया और मत्स्य अलवर विश्वविद्यालय में लता भोजवानी को अध्यक्ष पद की उम्मीदवार बनाया। इसके बाद एबीवीपी ने जोधपुर विश्वविद्यालय में जातिगत समीकरणों को साधते हुए त्रिवेन्द्र पाल सिंह को अध्यक्ष पद का उम्मीदवार बनाया हैं तो एबीवीपी ने उदयपुर के मोहनलाल सुखाडिया विश्वविद्यालय में निखिलराज सिंह को मैदान में उतारा हैं। जहां एबीवीपी अब तक तीन प्रत्याशियों की घोषणा कर चुकी है वहीं एनएसयूआई ने अभी तक एक प्रत्याशी हनुमान तरड़ को जोधपुर विश्वविद्यालय से अध्यक्ष पद का उम्मीदवार बनाया हैं। लेकिन अभी राजस्थान विश्वविद्यालय में प्रत्याशी की घोषणा का इंतजार है। हालांकि छात्र संगठन एबीवीपी ने राजस्थान विश्वविद्यालय में तीन प्रत्याशियों की छंटनी कर ली है और बाकि प्रत्याशियों को टिकिट की दौड़ से बाहर रहने के संकेत दे दिए हैं। एबीवीपी ने जिन तीन प्रत्याशियों को अध्यक्ष पद के लिए छांटा है उनमें से एक प्रत्याशी जो अध्यक्ष पद का सबसे प्रबल दावेदार माना जा रहा है उसके रिवेल्यूशन का परिणाम का इंतजार संगठन कर रहा हैं। ऐसे में उस प्रत्याशी का परिणाम जारी होने के बाद ही राजस्थान विश्वविद्यालय में एबीवीपी मैदान में प्रत्याशी उतारेगा। राजस्थान विश्वविद्यालय में लगातार अध्यक्ष पद पर चार साल से हार का सामना कर रही एबीवीपी अन्य विश्वविद्यालयों की तरह ही यहां भी जल्दी उम्मीदवार की घोषणा करना चाहती है लेकिन परिणामों के इंतजार में टिकिट की घोषणा अटकी हुई हैं। लोकसभा चुनावों में भाजपा ने पहले उतारे थे उम्मीदवार हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में भाजपा ने राजस्थान में भी अपने प्रत्याशियों की घोषणा पहले की थी। वहीं विधानसभा चुनावों में भी यही हुआ था और भाजपा ने अपने प्रत्याशियों को पहले मैदान में उतारा था। इसी रणनीति पर अब एबीवीपी चल रही हैं। वहीं एनएसयूआई एबीवीपी के प्रत्याशियों के नामों की घोषणा के बाद समीकरण बनाकर अपने उम्मीदवारों के नामों पर मंथन कर रही हैं। प्रदेश में छात्रसंघ चुनाव 27 अगस्त को होने है ऐसे में प्रत्याशियों को ज्यादा से ज्यादा तैयारी कर अपने वोट बैंक में सेंध लगाने का मौका मिल सके इसलिए एबीवीपी प्रत्याशी उतारने में आगे हैं। यही कारण है कि कई महाविद्यालयों में भी प्रत्याशियों के नामों की घोषणा हो चुकी हैं।
भाजपा की तर्ज पर एबीवीपी ने बदली रणनीति,एनएसयूआई से पहले उतारे उम्मीदवार,राजस्थान विश्वविद्यालय में अभी इंतजार।
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