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इंजीनियर की नौकरी छोड़ आज कमाते हैं प्रतिदीन 40,000 रुपये

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युवाओं से खेती (Farming) करने की अपेक्षा तो न के बराबर होती है और खासकर तब, जब वो शहरी क्षेत्र से हों. आज हम आपको एक ऐसे युवा के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने लोगों के मजाक को दरकिनार कर जैविक खेती शुरू की और आज बन गए हैं लोगों के लिए प्रेरणा. उनका नाम है- अभिषेक धम्मा
अभिषेक दिल्ली के पल्ला गाँव के निवासी हैं, और उनकी उम्र 28 वर्ष है. उन्होंने 2014 में इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन में इंजीनियरिंग की डिग्री ली थी. बचपन से ही कही न कही उन्हें पेड़ पौधों से एक खास लगाव था, लेकिन जीवन मे इतनी व्यस्तता और पढ़ाई का दबाव था कि, खेती और बागवानी का, दूर दूर तक कोई विचार नही था.
अगर कोई स्मार्ट लड़का, जीन्स और टी- शर्ट में किसी हरे भरे खेत मे घूम रहा हो तो लोग ये तक नही ही सोचेंगे कि वो एक किसान है. जब लोगो ने जाना कि अभिषेक अब खेती करेंगे तो अलग अलग टिप्पणियां सामने आई. जैसे- लगता है नौकरी नही मिली इसलिए खेती कर रहा है, किसी ने लगता है काम से निकाल दिया आदि.
घरवाले भी शुरुआती दौर में नही थे साथ
जब अभिषेक ने खेती करने का मन बनाया तो उनके घरवाले खिलाफ थे. उन्हें लगता था कि अभिषेक ने जो इतनी पढ़ाई की, इतना इन्वेस्टमेंट किया, उसका क्या होगा. इसलिए वो सुझाव देते थे कि वो अच्छी कंपनी ही जॉइन कर ले. अभिषेक बताते हैं कि, पढ़ाई या उसके पहले भी उन्होंने कभी नही सोचा था कि वो खेती करेंगे. तब उन्हें ये लगता था कि ये बहुत ही ज्यादा एक मेहनत का काम है और इसमें लाभ भी बहुत कम है और भारत के किसानों की हालत भी कहाँ किसी से छुपी है.
आपको बता दे कि अभिषेक को फिटनेस बहुत पसंद है. वो क्रिकेट और वॉलीवॉल भी खेलते हैं ताकि स्वस्थ रहें. अब इंजिनीरिंग की पढ़ाई तो पूरी हो गयी थी और नौकरी भी इंतज़ार कर रही थी, लेकिन उन्होंने सोचा कि क्यों न एक ब्रेक लिया जाए और हेल्थ पर ध्यान दिया जाए. तभी उन्होंने जिम जॉइन किया जहां उन्हें पोषक आहार के बारे में विस्तार से बताया गया. उन्होंने भी इसमें रुचि दिखाई और अध्ययन करना शुरू किया.
अभिषेक ये जान के हैरान रह गए कि, रोज हम कितनी सारी सब्ज़ियों को खाते हैं, फलो को खाते हैं, और उनके खेती में हानिकारक केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है, जो हमारे शरीर को धीरे धीरे खाता चला जायेगा. शरीर पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव को जानकर अभिषेक दंग रह गए. उनके परिवार का 25 एकड़ ज़मीन था. सबकुछ जानने के बाद भी अभिषेक एकाएक कोई परिवर्तन नही कर सकते थे, क्योंकि उन्हें बहुत ज्यादा जानकारी भी नही थी और न ही उनके पास अनुभव था.
अभिषेक के दादाजी ने यमुना किनारे एक मंदिर बनवाया था. उसी के आस पास के ज़मीन में उन्हीने सब्ज़ी और फलों का बाग लगा डाला. अभी तक किसी ने ऐसे जगह पे खेती या बागवानी नही की थी. अभिषेक ने बताया कि उन्होंने यू ट्यूब से देख कर सबसे पहले, लौकी, करेला, टमाटर,आदि चीज़ों को लगाया. वहाँ 6 फिट की बाउंड्री भी थी, जिससे कीड़ों से सुरक्षा हो जाती थी.
अभिषेक बताते हैं कि एक साल में ही जो वो सब्जियों को बो रहे थे, उनका स्वाद और रंग, बाजार से आने वाले सब्जियो के स्वाद और रंग से बहुत अलग था. इस फर्क ने उनके आत्मविश्वास को और बढ़ा दिया. अब वो अपने 25 एकड़ वाले ज़मीन पर खेती करने के लिए तैयार थे. अब उनके पास एक छोटा सब्ज़ी का बागान हो चुका था. स्वास्थ्य के प्रति जागरूक तो थे ही, इसलिए उन्हीने ‘ मीठी तुलसी’ (स्टीविया) उगाया, क्योंकि ये चीनी का एक बहुत अच्छा विकल्प माना जाता है. लेकिन लोगों में ये ज्यादा लोकप्रिय था नही, इसलिए कोई इसका खरीदार नही मिला.
कुछ असफलताओ के बावजूद भी उन्होंने हिम्मत नही छोड़ा एओ लगातार जैविक खेती के बारे में पढ़ते रहे, समझते रहे. अभिषेक बताते हैं कि उनके पिता दिन रात मेहनत करते थे और गेहूं और धान की खेती करते थे. लेकिन अभिषेक बस वही उगाते हैं जिसका डिमांड बाजार में ज्यादा होता है. अभिषेक का कहना है कि आप सिंचाई के लिए ड्रिप सिस्टम का ही प्रयोग करें. इससे पानी की खपत भी कम होती है और पानी जड़ो तक सीधे पहुँच भी जाता है.
पानी की मात्रा समान होने के कारण पौधे भी जल्दी पनपते हैं. साथ ही आपके समय की भी बचत होती है. इसमें 1 एकड़ की सिचाई में लगभग 3 से 4 घण्टे का समय लगता है. पिछले साल से उन्हीने बांस के सहारे, वर्टिकल फार्मिंग करना शुरू किया, जिससे उपज काफी गुना बढ़ गई. 8–8 फिट की दूरी पर उन्होंने बांस को लगाया और उन्हें एक दूसरे से जोड़ने के लिए गैल्वेनाइज़ेड आयरन वायर का प्रयोग किया. इससे वो बताते हैं कि उत्पादन 80% बढ़ गया.
अभिषेक ने अपने खेत मे बायोगैस यूनिट भी लगा रखे हैं, जिससे फसल से जो भी कचरे निकलते हैं उससे वो मीथेन गैस में बदल देता है, और उसका इस्तेमाल परिवार के लिए खाना बनाने में हो जाता है.

प्रतिदिन 40,000 रुपये कमाने का करते हैं दावा
अभिषेक बताते हैं कि सालो भर वो खेती करते हैं, और जो फसल वो बाज़ार में बेचते हैं उससे उन्हें प्रतिदिन 40,000 रुपये की कमाई होती है. अभिषेक ने जो ये इंजिनीरिंग से किसानी तक का सफर तय किया है, उसपर उनको और उनके परिवार को बहुत गर्व है. आप भी अपने आस पास हरियाली बनाये रखे, सीखते रहें और सिखाते रहें.
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