सीकर. मौसम का बदलता मिजाज बेक्टिरिया जनित बीमारियां बढ़ा रहा है। सरकारी और निजी अस्पतालों के आउटडोर में आने वाले बीमारियों में सिरदर्द के साथ उल्टी-दस्त के मरीजों की संख्या ज्यादा है। अस्पताल की लैब में भी बायोकेमेस्ट्री की जांचज्यादा करवाई जा रही है। चिकित्सकों के अनुसार बदलते मौसम के अनुसार शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बदल नहीं पाती है और कई बार वायरस भी म्यूटेट हो जाता है। यही कारण है कि ऐसे में पूर्व में दी गई एंटी बॉयोटिक दवाएं असर नहीं कर पाती है। समय रहते उपचार नहीं मिलने पर मरीज की स्थिति बिगड जाती है और उसे अस्पताल में भर्ती करना पड़ता है।बदलते मौसम में बढ़ा ओपीडी पिछले 10-15 दिन में जितनी तेजी से मौसम के अलग-अलग रुप देखने को मिले हैं। उतनी ही तेजी से ओपीडी का आंकड़ा बढ़ा है। बुखार, खांसी, जुकाम, सिरदर्द, डायरिया, अस्थमा व अन्य कई मौसमी बीमारियों का ग्राफ बढ़ा है। निजी अस्पतालों में भी मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है। तापमान में हुई उतार-चढाव के कारण कई मरीजों में पेट दर्द और उल्टी दस्त की समस्या बढ़ती जा रही है। चिकित्सकों की माने तो वायरस का स्वरूप मौसम के अनुसार बदल रहा है। ऐसे में जांच के दौरान वायरस की पुष्टि नहीं हो पाती है। यही कारण है कि सर्दी जुकाम जैसे साधारण रोग भी कई दिनों तक ब”ाों को बीमार रख रहा है।
उतार-चढाव है कारण
जिले में पिछले कई दिन से तापमान सामान्य से अधिक हो जाता है तो कभी सामान्य या उससे कम हो जाता है। इसी के कारण पिछले कुछ दिनों से अस्पतालों की ओपीडी में मरीजों की संख्या बढ़ी हुई है। जिला मुख्यालय स्थित एसके अस्पताल की ओपीडी में 450 तक मरीजों का रोजाना पंजीकरण हो रहा है। सप्ताह भर में ओपीडी बढ़ी है। इनमें &5 से 50 फीसदी तक मौसमी बीमारियों के मरीज आने शुरू हो गए हैं।
इनका कहना हैदिन में गर्मी और रात में सर्दी के कारण मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है। उल्टी दस्त के भी मरीज आने शुरू हो गए हैं। इन दिनो वायरस की बजाए बैक्टीरिया जनित बीमारियों के रोगी ज्यादा है। यही कारण है मरीज देरी से ठीक होते हैं। डॉ. एमआर सारण, वरिष्ठ फिजीशियन एसके अस्पताल
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