किसान अपनी मांगों को लेकर लगातार डटे हुए हैं. गुरुवार को सरकार और किसानों के बीच 7 घंटे की बैठक भी हुई लेकिन तीनों मंत्रियों को किसानों ने दो टूक कह दिया कि कृषि कानूनों की वापसी तक आंदोलन जारी रहेगा. सरकार के कई मांगों पर नरम रुख के बावजूद किसान नेताओं ने स्पष्ट कहा है कि उन्हें संशोधन मंजूर नहीं है.
किसान कानूनों का खात्मा चाहते हैं. 5 दिसंबर को फिर बैठक है लेकिन इस बीच किसानों को टीएमसी, आरजेडी, कांग्रेस समेत कई सियासी दलों और संगठनों का पूरा समर्थन मिलता दिख रहा है. इस बीच एडिटर्स गिल्ड ने भी मीडिया के लिए एडवाइडरी जारी की है.
किसान आंदोलन से जुड़े कुछ बड़े अपडेट्स
एडिटर्स गिल्ड की एडवाइजरी
एडिटर्स गिल्ड ने भी एडवाइजरी जारी कर कुछ मीडिया हाउस को सीख दी है. गिल्ड का कहना है कि मीडिया के कुछ सेक्शन बिना किसी सबूत के प्रदर्शनकारी किसानों को ‘खालिस्तानी’, ‘एंटी-नेशनल’ और ऐसे ही कई लेबल दे रहे हैं और प्रदर्शन को अमान्य ठहराने की कोशिश कर रहे हैं. ये जिम्मेदार और एथिकल जर्नलिज्म के मूल्यों के खिलाफ है.
कांग्रेस के चार मुख्यमंत्रियों को नहीं मिला राष्ट्रपति से समय
कांग्रेस शासित चार राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने किसानों की मांग रखने के लिए राष्ट्रपति से मिलने का समय मांगा. राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत का कहना है कि उन्हें समय नहीं दिया गया है. गहलोत ने ये भी कहा कि किसान बिल पर सरकार ने कोई चर्चा नहीं की है, जिसके कारण किसानों को सड़क पर अब उतरना पड़ा है. ऐसे में अब केंद्र सरकार को बिना देरी किए हुए किसान कानूनों को वापस लेना चाहिए और किसानों से दुर्व्यवहार के लिए माफी मांगनी चाहिए.
बिहार की मुख्य विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने नए कृषि कानूनों को किसान विरोधी बताते हुए बिहार के किसानों को भी आंदोलन में शामिल होने की अपील की है. राजद के नेता तेजस्वी यादव ने शुक्रवार को कहा कि उनकी पार्टी के नेता और कार्यकर्ता शनिवार को पटना के गांधी मैदान में महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने कृषि कानून के विरोध में धरने पर बैठेंगे.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने किसानों को तारीख पर तारीख दिए जाने पर नाराजगी जताई है. किसान प्रदर्शन को अपना समर्थन देते हुए उन्होंने कहा कि अगर सरकार किसान कानूनों को वापस नहीं लेती है तो टीएमसी पूरे राज्य और देश में आंदोलन करेगी. इस बीच टीएमसी के वरिष्ठ नेता डेरेक ओ ब्रायन भी दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर पर किसानों के बीच पहुंचे.
हरियाणा- बीजेपी-जेजेपी के रिश्तों में दरार
जेजेपी अध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला इस मुद्दे पर सार्वजनिक रूप से चुप्पी बनाए हुए हैं, उनके फायरब्रांड छोटे भाई दिग्विजय चौटाला सरकार को लगभग हर दिन आड़े हाथों ले रहे हैं. उन्होंने मांग की है कि किसानों के खिलाफ दर्ज मामलों को वापस लिया जाना चाहिए. दिग्विजय चौटाला ने गुरुवार को मीडिया से कहा, हम मुख्यमंत्री और गृह मंत्री से बात करेंगे कि वे किसानों के खिलाफ मामलों को वापस लेने के लिए कहें ताकि स्थिति खराब न हो और किसी भी तरह का अविश्वास पैदा न हो.
RSS से जुड़े कई किसान संगठन कृषि कानून के विरोध में
भारतीय किसान संघ (BKS) समेत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से संबंधित कई संगठन केंद्र के कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों के समर्थन में आए हैं. BKS का कहना है कि ये कानून केवल कॉर्पोरेट घरानों और बड़े व्यापारियों का हित देखते हैं, किसानों का नहीं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, स्वेदशी जागरण मंच (SJM) ने भी कृषि कानूनों के विरोध में बयान जारी किया है.
किसानों के समर्थन में अवॉर्ड वापस करने का ‘अभियान’ जारी है. शुक्रवार को उपन्यासकार डॉ जसविंदर सिंह ने भारतीय साहित्य अकादमी अवॉर्ड वापस कर दिया. उन्होंने कहा कि अगर, लेखक ही अवाज नहीं उठा सकता तो मतलब ही क्या है. उन्होंने कहा कि ये देखकर दुख होता है कि सरकार किस निर्दयता के साथ किसानों से डील कर रही है.
इससे पहले पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने कृषि कानून के विरोध में अपना पद्म विभूषण पुरस्कार लौटा दिया है. पूर्व सीएम ने लिखा था कि वो सरकार द्वारा किसानों के साथ किए विश्वासघात और शांतिपूर्ण प्रदर्शन के दौरान किसानों के साथ हुए बर्ताव का विरोध में पुरस्कार वापस कर रहे हैं.
किसानों को कनाडा, ब्रिटेन और अमेरिका के कई नेताओं का समर्थन मिला है और इसमें सबसे बड़ा नाम कैनेडियन पीएम जस्टिन ट्रूडो का है. भारतीय विदेश मंत्रालय ट्रूडो के बयान की आलोचना कर चुका है और अब कनाडा के हाई कमिश्नर को भी तलब किया गया है. मंत्रालय की तरफ से कहा गया है कि इस बयान से भारत-कनाडा के रिश्ते बिगड़ सकते हैं.
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किसान आंदोलन को दलों-संगठनों का समर्थन, एडिटर्स गिल्ड ने दी मीडिया को चेतावनी
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