सीकर. बीमारी की जांच की आस निजी लैब की शरण में जाने वाले मरीजों की जेब पर अब संचालक मनमर्जी से डाका डाल रहे हैं। जी हां यह सच है कि प्रदेश में अब डेंगू सरीखी मौसमी बीमारियों के खौफ के कारण लैब में औसतन महज 68 रुपए के रेपिड कार्ड के लिए 600 से 900 रुपए तक वसूले जा रहे हैं। ये हम नहीं एसके अस्पताल के आउटडोर के आंकडों और चिकित्सकों की ओर से मरीजों को लिखी गई डेंगू जांच की रिपोर्ट के आधार पर सामने आया है। जिसकी बानगी है कि जिला लैब में जिन मरीजों के डेंगू के टेस्ट निजी अस्पतालों से पॉजीटिव भेजे गए, वह सरकारी लैब में फेल हो रहे हैं। हालांकि अभी इनकी रिपोर्ट भी स्वास्थ्य विभाग के पास नहीं पहुंची है, लेकिन इसने निजी लैब में होने वाले कार्ड टेस्ट की विश्वसनीयता पर प्रश्न चिन्ह लगा दिए हैं। हालांकि पूर्व में सरकार ने डेंगू की जांच के लिए दरें निर्धारित की थी। एक सप्ताह में झटके दस लाख रुपएसीकर शहर में निजी लैब की संख्या 450 से ज्यादा है। निजी चिकित्सकों के अनुसार इन लैब में पिछले एक सप्ताह से डेंगू की जांच के लिए सौ से ज्यादा मरीज पहुंचे हैं। जहां डेंगू की जांच के लिए औसतन 700 रुपए के लिहाज से मरीजों की जेब से साढ़े चार लाख रुपए झटक लिए गए। एसके के चिकित्सकों के अनुसार जिले की निजी लैब में हुई जांच की संख्या जोड़ी जाए तो यह राशि करीब दस लाख तक पहुंच गई है। सबसे ज्यादा जांच श्रीमाधोपुर व नीमकाथाना की लैब में हुई है। इसलिए लूट रहे हैं मरीजों को मौसमी बीमारियों खासकर डेंगू और मलेरिया में शरीर की प्रतिरोधक क्षमता की जांच की जाती है। कार्ड टेस्ट में आईजीजी की पुष्टि तो सामान्य वायरल में भी आ जाती है लेकिन आईजीएम की पुष्टि होने पर डेंगू का इलाज शुरू करना पड़ता है। निजी लैब खोलने के लिए किसी तरह का अंकुश नहीं है। कई पैथोलॉजी लैब ऐसे हैं, जो रैपिड कार्ड से जांच कर रहे है जबकि सरकार इस कार्ड से हो रही जांच को मान्यता नहीं देती। अधिकांश पैथोलॉजी में रेट लिस्ट तक नही है। इनका कहना हैनिजी लैब की ओर से मनमर्जी से रुपए वसूलना गलत है। कार्ड टेस्ट के जरिए होने वाली जांच को डेंगू की पुष्टि नहीं माना जाता है। विभाग की लैब में एलाइजा जांच होने पर पुष्टि होती है। निजी लैब का निरीक्षण किया जाता है। डॉ. सीपी ओला, डिप्टी सीएमएचओ
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