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18 साल पहले कोर्ट मैरिज किये जोड़े को मौत भी नहीं कर सकी अलग, पति की मौत के कुछ देर बाद पत्नी ने भी छोड़ी दुनिया,

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आजकल राजस्थान / राजसमंद

अठारह वर्ष पहले प्रेम विवाह के अटूट बंधन में बंधे, जब दुनिया से रुखतस हुए तो भी दोनों  एकसाथ

पति पत्नी के असमय इंतकाल ने दो मासूम बच्चों की परवरिश पर संकट खड़ा कर दिया है। टीबी के चलते पति जिन्दगी से हारा, उनकी देह कब्रिस्तान में दफनाकर रिश्तेदार घर लौटे ही थे कि पति का वियोग सह न सकी पत्नी भी चल बसी।
गरीबी रेखा से नीचे जीवन-यापन करने वाले इस परिवार में कोई करीबी रिश्तेदार नहीं है, जो उन्हें पाल पोस सकें। मार्बल ट्रेडिंग कर गुजारा चलाने वाले मोहम्मद हनीफ (45) पुत्र अहमद बक्ष ने वर्ष 2001 में शहनाज बानू उर्फ शाना बानू से कोर्ट मैरिज (निकाह) कर लिया था। ट्रेडिंग के कार्य से परिवार की आर्थिक स्थिति भी मजबूत हुई।

ईसी दरमियान बेटे मोहम्मद आशिम व बेटी शाईन अंजूम का जन्म हुआ। वक्त के साथ परिवार की जिम्मेदारियां जब बढऩे लगीं, तभी हनीफ को बीमारी जकडऩे लग गई। कुछ छिटपुट मजदूरी कर कमाता भी था, मगर उसी के इलाज में खर्च हो जाता।
जब परिवार के गुजारे पर संकट खड़ा होने लगा, तो शहनाज बानू ने उर्दू की ट्यूशन शुरू कर परिवार का पोलन-पोषण अपने कंधों पर ले लिया। इस तरह पति की बीमारी बढ़ती गई, मगर शहनाज ने हिम्मत नहीं हारी और स्नातक कर रही बेटी की पढ़ाई नहीं छोडऩे दी। करीब पांच वर्ष से पिता हनीफ ने बिस्तर पकड़े रखा, तो बिगड़ती आर्थिक स्थिति को संभालने के लिए 12वीं की पढ़ाई बीच में छोड़ बेटे मोहम्मद हाशिम ने वेल्डिंग के कारखाने में मजदूरी शुरू कर दी। फिर जैसे-तैसे घर गुजारा चलने लगा ।

जानलेवा टीबी ने रविवार सुबह 11.30 बजे मोहम्मद हनीफ की सांसें रोक दीं। इस पर समाजजन दोपहर तक उनकी देह कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक कर घर लौटे ही थे, तभी उनकी पत्नी शहनाज बानू की तबीयत भी बिगड़ गई। पहले तो उन्हें निजी अस्पताल ले गए, जहां से आरके जिला अस्पताल में भर्ती कराया। रविवार रात ठीक 11.30 बजे शहनाज का भी दम टूट गया। सोमवार सुबह उनकी देह भी कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक की गई।
बिलख रहे बच्चे, नहीं थमे आंसू
पिता के बाद मां के इंतकाल से आहत दो बच्चे रह रहकर बिलख रहे हैं। आस-पड़ोस व रिश्तेदार दिलासा देते, तो हाशिम संभलने लगता, मगर बहन शाईन का करुण रूदन फिर उसे अहसज कर रहा था। इस तरह दोनों भाई-बहनों की आंखों से लगातार आंसू बह रहे थे। ऐसे में वहां खड़े हर शख्स की आंखें भी नम हो गईं और हर कोई अल्लाह से बच्चों की बेहतर जिन्दगी की दुआ मांगने लगा।
अब कौन होगा पालनहार? दम्पती की मृत्यु के बाद उनके नाबालिग बेटे हाशिम व शाईन के पालनहार को लेकर बड़ा सवाल खड़ा हो गया। क्योंकि उसके परिवार में कोई करीबी रिश्तेदार ही नहीं है और घर गुजारा कैसे चलेगा। यह बड़ी चुनौतीपूर्ण स्थिति बन गई है।
बीपीएल में नाम, फिर भी आवास नहीं तंगहाल परिवार का बीपीएल सूची में नाम होने के बाद भी आवास योजना में उसका नाम नहीं जुड़ पाया। इसके लिए दम्पती कई बार नगरपरिषद से लेकर जिला कलक्टर तक गुहार लगा चुका है, मगर उसकी फरियाद कहीं नहीं सुनी गई। वे अभी रिश्तेदार के घर में एक कमरे में रह रहे थे।

बच्चों के मदद की दरकार दम्पती के इंतकाल के बाद दो बच्चों की परवरिश पर संकट खड़ा हो गया। बीपीएल में है, मगर मकान नहीं। गरीबी की वजह से बेटे की पढ़ाई भी छुट गई। अब तो प्रशासन व भामाशाह से मदद की उम्मीद है, जो आगे आए।

इन बच्चों की सहायता के लिए समाज को आगे आना चाहिए।सहयोग के इच्छुक व्यक्ति कमेंट करके अपनी राय देवे।आजकल राजस्थान टीम आपको आपकी सहायता वहाँ पहुंचाने में मदद करेंगे।

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