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राजस्थान के 11 लाख शिक्षक लड़ रहे रोजी-रोटी की जंग, सब्जी बेचना तो किसी ने शुरू की मजदूरी

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सीकर. कोरोना ने प्रदेश के करीब 50 हजार निजी स्कूलों से जुड़े 11 लाख से अधिक शिक्षकों की कमर तोड़ दी है। राज्य के लगभग 75 फीसदी निजी स्कूलों के शिक्षक रोजगार की जंग लड़ रहे हैं। इधर, स्कूल संचालकों का तर्क है कि कोरोनाकाल में पिछले सवा साल से बच्चों की फीस ही पूरी नहीं मिल रही है तो कैसे शिक्षकों का पूरा वेतन चुकाए। ऐसे में कई निजी स्कूलों के मजबूर शिक्षकों ने रोजगार की राह बदल ली है। कई शिक्षकों ने राशन की दुकान खोल ली तो किसी ने अपने हुनर के दम पर दूसरा रोजगार हासिल कर लिया। शिक्षकों का कहना है कि सरकार को निजी स्कूलों के शिक्षकों के लिए कोई राहत पैकेज की घोषणा करनी चाहिए।
केस 01: आर्थिक गणित बिगड़ा तो हासिल किया दूसरा रोजगार
रींगस निवासी लालचंद कुमावत गणित विषय के शिक्षक है। उन्होंने कई वर्षों तक निजी स्कूल में सेवाएं दी है। कोरोना की वजह से पूरा आर्थिक गणित बिगड़ गया। लगा कि जल्दी से स्थिति सामान्य होने वाली नहीं है और स्कूल से वेतन भी नहीं मिला तो उन्होंने खुद ही नई राह तलाशी। सब्जी का कारोबार शुरू कर दिया है।
केस 02: रोजगार गया तो घर पर शुरू की खेतीनीमकाथाना इलाके के बुजा गांव निवासी दाताराम गुर्जर का भी कोरोना ने रोजगार छीन लिया। अब खेती का काम शुरू कर दिया है।
केस 03: वेतन नहीं मिला तो शुरू किया सब्जी का कामलक्ष्मणगढ़ इलाके के कैलाशचंद सैनी निजी स्कूल में वाणिज्य विषय की पढ़ाई कराते थे। निजी स्कूल से वेतन मिलना बंद होने पर उन्होंने स्कूल छोड़ दिया। अब वह अपने इलाके में सब्जी की दुकान चलाते है।
केस 04: दिन में मजदूरी और शाम को ट्यूशनहीरानगर निवासी मुकेश कुमार वर्मा निजी स्कूल में आठवीं तक के बच्चों को पढ़ाई कराते थे। कोरोनाकाल में स्थिति पूरी तरह बदली तो उन्होंने गुजारे के लिए नई राह निकाल ली। दिन में वे मजदूरी करते है और शाम को बच्चों को ट्यूशन पढ़ाते हैं।
केस 05: धागा मिल में मिला रोजगाररमेश वर्मा भी कई वर्षों से निजी स्कूल से जुड़े हुए थे। लॉकडाउन की वजह से स्कूल छूटा तो धागा मिल में काम तलाश लिया। इसी तरह जैतूसर इलाके के रामकुमार बराला का कहना है कि स्कूल से वेतन मिलना बंद हो गया तो उन्होंने मजदूरी करना शुरू कर दिया। दोनों शिक्षकों का कहना है कि अभी भी बच्चों को पढ़ाने की ललक है। लेकिन स्थिति सामान्य होने के बाद ही कोई फैसला लेंगे।
केस 06: अंग्रेजी के शिक्षक ने शुरू किया बिजली फिटिंग का काम
श्रीमाधोपुर इलाके के निवासी निजी स्कूल के शिक्षक ओमप्रकाश सैनी की जिंदगी की रफ्तार भी कोरोना ने बदल दी। वह चार वर्षों से निजी स्कूल में अंग्रेजी विषय की पढ़ाई कराते थे। लेकिन अब उन्होंने खेती के साथ बिजली फिटिंग का काम शुरू कर दिया है।
गुरुजी ने शुरू कर दी मंदिर में पूजा, 2700 में पाल रहे पेटदस वर्ष से निजी विद्यालय में शिक्षक का काम करने वाले बूंदी जिले के आदित्य शर्मा को भी बेरोजगारी का सामना करना पड़ गया। अब प्रतिमाह 27 सौ रुपए में मंदिर में पूजन-आरती का काम करते हैं। यही उनके परिवार का सहारा बना हुआ है। आदित्य बताते है दस वर्ष से निजी विद्यालय में पढ़ाकर अपनी गृहस्थी चला रहे थे। कोरोना महामारी आई तब से ही रोजगार का संकट झेलना पड़ रहा है। अभी कस्बे के ही खानपोल दरवाजे के पास स्थित राधे-गोविन्द मन्दिर में पूजा करते हैं।
इधर, कई स्कूलों ने नहीं दी सूचना, 30 तक आखिरी मौकाआरटीई में फीस पुनर्भरण के मामले में शिक्षा विभाग की ओर से निजी स्कूलों को दो बार ऑनलाइन शिक्षण के संबंध में रिपोर्ट मांगी जा चुकी है। इसके बाद भी प्रदेश के कई स्कूल संचालकों की ओर से पोर्टल पर सूचना अपडेट नहीं की गई है। इसको शिक्षा निदेशक सौरभ स्वामी ने गंभीरता से लिया है। उन्होंने इस मामले में रविवार को फिर से पत्र जारी किया है। इसमें बताया कि दो बार मौका देने के बाद भी जिन स्कूलों ने किसी कारण से पोर्टल पर सूचना अपडेट नहीं की है वह अपना रिप्रजेन्टेशन 30 मई तक ई-मेल के जरिए दे सकते हैं। उन्होंने बताया कि इन रिप्रजेन्टेशन के संबंध में अंतिम निर्णय राज्य सरकार की ओर से लिया जाएगा।
जरा सुने इनकी भी पीड़ा
1. अभिभावक: हमसे फीस, फिर शिक्षकों को क्यों नहीं?जब हम से निजी स्कूलों की ओर से पूरी फीस मांगी जा रही है तो फिर शिक्षकों को क्यों नहीं दी जा रही है। मुख्यमंत्री को इस मामले में दखल देकर निजी स्कूलों के शिक्षकों को राहत दिलानी चाहिए।
2. निजी स्कूल: नहीं मिली पूरी फीस
निजी स्कूलों का तर्क है कि हमें पूरी फीस नहीं मिल रही है। ऐसे में सरकार को निजी स्कूलों से जुड़े शिक्षकों के लिए राहत पैकेज की घोषणा करनी चाहिए।
3. शिक्षा विभाग: शिकायत मिलेगी तो जरूर जांच होगी
शिक्षा विभाग का तर्क है कि यदि शिक्षकों की ओर से वेतन नहीं मिलने की शिकायत मिलती है तो जरूर जांच कराई जाएगी।

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