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फर्जी TC प्रकरण: चूरू जिला प्रमुख जयपुर से गिरफ्तार, चुनाव लडऩे में फर्जीवाड़ा का आरोप

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आजकल राजस्थान चूरू।
फर्जी शैक्षणिक दस्तावेज लगाकर चुनाव लडऩे के मामले में जिला प्रमुख हरलाल सहारण को सदर थाना पुलिस ने रविवार को जयपुर के जालूपुरा इलाके से गिरफ्तार कर लिया। एसपी राजेंद्रकुमार के मुताबिक चूरू से जयपुर गई पुलिस की टीम सहारण को गिरफ्तार कर ले आई है।

गौरतलब है कि परिवादी चिमनाराम कालेर ने जिला प्रमुख पर उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा परिषद रामनगर नैनीताल की 10वीं कक्षा की फर्जी मार्कशीट लगाकर चुनाव लडऩे का आरोप लगाते हुए मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, चूरू के यहां इस्तगासा पेश किया था। जिस पर कोर्ट ने कोतवाली पुलिस को एफआइआर दर्ज कर जांच के निर्देश दिए थे।
उधर, उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि उक्त मामले की जांच चल रही है। हाईकोर्ट में मुकदमा भी चल रहा है। जिलाध्यक्ष पंकज गुप्ता ने बताया कि 20 मई को इसके विरोध में रैली निकालेंगे।

आपको बता दें कि सीजेएम राजेश कुमार ने शनिवार को जिला प्रमुख हरलाल सहारण के विरुद्ध चल रहे फर्जी टीसी के आधार पर चुनाव लडऩे के मामले में उनके वकील की ओर से पेश किए गए प्रार्थना पत्र को सुनवाई के बाद खारिज कर दिया। प्रार्थना पत्र में इस्तगासे को गलत ठहराते हुए इसमें लगाई गई धारा 467 आईपीसी को गलत बताया गया था।
एडवोकेट सुरेंद्र जाखड़ ने बताया कि परिवादी चिमनाराम कालेर ने जिला प्रमुख पर 10वीं कक्षा की फर्जी टीसी के आधार पर चुनाव लडऩे का आरोप लगाते हुए न्यायालय में विभिन्न धाराओं में इस्तगासा पेश किया गया था। जिस पर कोर्ट ने सुनवाई व पुलिस थाना कोतवाली से रिपोर्ट मंगवाने के बाद कोतवाली में एफआईआर दर्ज कर जांच करने के लिए 156(3) में इस्तगासा भेजा था।

इस्तगासे के आधार पर कोतवाली पुलिस ने गत 25 जनवरी 2019 को एक एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू की। जांच के दौरान सारे सबूत एकत्रित कर पेश की गई टीसी को फर्जी माना। अब जांच पूर्णता की और है। जिस पर जिला प्रमुख ने अपने वकील के जरिए कोर्ट में एक प्रार्थना पत्र पेश कर आरोप लगाया कि 156 (3) का इस्तगासा गलत भेजा गया है। परिवादी चिमनाराम को इस्तगासा पेश करने का कोई अधिकार नहीं है। इस्तगासे में लगाई गई धारा 467 आईपीसी गलत लगाई गई है। वो लगती नहीं है। जो केवल जिला प्रमुख को गिरफ्तार करने के लिए ही लगाई गई है। न्यायालय की निगरानी में मामले की जांच की जाए। शनिवार को सुनवाई के दौरान न्यायालय ने प्रार्थना पत्र के तथ्यों को नकारते व आधारहीन मानते हुए प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया।

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