आजकल राजस्थान / जोधपुर,
राजस्थान और गुजरात के सीमावर्ती क्षेत्रों में इन दिनों किसानों के लिए एक बड़ा खतरा लगातार भारतीय सीमा में बढ़ता जा रहा है।यह खतरा है पाकिस्तान की ओर से आ रहा टिड्डी दल है।भारत सरकार का टिड्डी नियंत्रक विभाग हाई अलर्ट पर है और टिड्डी नियंत्रण संगठन की ओर से मंगलवार को लगातार आठवें दिन जैसलमेर क्षेत्र में पाकिस्तान से लगती अंतरराष्ट्रीय सीमा पर टिड्डियों को नियंत्रित करने के लिए मेलाथिन का छिडक़ाव किया गया। उधर पाकिस्तान की ओर से टिड्डियों पर नियंत्रण नहीं करने की वजह से भारत को जोर-शोर से नियंत्रण कार्यक्रम चलाना पड़ रहा है। भारत के अधिकारियों ने पाकिस्तान के समक्ष अपनी नाराजगी व्यक्त की है। इसके बाद दोनों देशों ने 19 जून को बैठक करने का निर्णय किया है। यह बैठक मुनाबाव या खोखरापार में होगी। रोम स्थित विश्व खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) ने भी अपनी प्रेस रिलीज में पाकिस्तान के ब्लूचिस्तान में टिड्डी नियंत्रण में बरती जा रही ढिलाई पर चिंता व्यक्त की है।
इस साल के आरंभ में टिड्डी का आउटब्रेक लाल सागर के दोनों ओर स्थित अफ्रीका के पूर्वी देशों और सऊदी अरब से हुआ है। इसके बाद सऊदी अरब, यमन, ओमान और ईरान में टिड्डी के बड़े झुंड विकसित होते जा रहे हैं। ईरान से लगातार टिड्डियां पाकिस्तान के ब्लूचिस्तान होती हुई भारत की ओर आ रही है। एफ एओ के अनुसार ब्लूचिस्तान के तटीय इलाकों में कई सारेहोपर्स(फाका) हैं जिनमें मई के अंत तक पंख आ जाएंगे और वे उडऩा आरंभ कर देंगे। कुछ टिड्डी के बड़े झुंड में है जो लगातार भारत के बॉर्डर की ओर बढ़ रही है। पाकिस्तान में टिड्डी नियंत्रण कार्यक्रम समुचित रूप से नहीं चलाया जा रहा है। जिसकी वजह से भारत को टिड्डियां को काबू में करना पड़ रहा है।
अगले महीने भारी परेशानी – खाड़ी देशों में टिड्डी के बड़े-बड़े झुंड हैं। विशेषकर यमन, ओमान और ईरान में। टिड्डियां जून में अनुकूल मौसमी परिस्थितियों को देखते हुए भारत की तरफ बढ़ रही है। भारत में मानसून का मौसम शुरू हो चुका है और जून में बरसात और आंधी का मौसम रहेगा। जिस कारण टिड्डियों को आगे बढऩे के लिए अनुकूल परिस्थितियां मिलेगी। केंद्र सरकार टिड्डियों को राजस्थान और गुजरात के बॉर्डर पर ही खत्म कर आगे बढऩे से रोकना चाह रही है। इसके लिए कई संसाधन लगाए गए हैं।
पीली टिड्डी से अधिक खतरा
टिड्डी के दो रूप होते हैं एक पीला और दूसरा भूरे रंग का। पीले रंग की टिड्डी यानी वयस्क जल्दी से प्रजनन क्रिया कर 10 दिन में ही एक साथ सौ अंडे देकर अपनी तादाद बढ़ाती है। ऐसे में 10 हजार पीली टिड्डी भी कुछ ही दिनों में अपनी संख्या करोड़ तक कर सकती है। सबसे पहले इन पीली टिड्डियों का खात्मा किया जा रहा है।
क्या कहना है टिड्डानियंत्रक संंघटन
टीड्डियां करोड़ में हो सकती है। वह अनगिनत है उन्हें गिना नहीं जा सकता। हम लगातार नियंत्रण कार्यक्रम चला रहे हैं और हमें सफ लता भी मिल रही है। जून हमारे लिए महत्वपूर्ण है। 19 जून को पाक के साथ बैठक करके इस समस्या पर विचार किया जाएगा।
डॉ. केएल गुर्जर, उप निदेशक, टिड्डी नियंत्रण संगठन जोधपुर