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गैंगस्टर राजू ठेहट को किससे है जान का खतरा, घेरे रहते हैं पुलिस-कमांडोज़, बुलेट प्रूफ पहनाकर होती है पेशी

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Aajkal Rajasthan (नागौर)।
ख़ौफ़ का पर्याय बने अपराधी भी हरदम ख़ौफ़ में रहते हैं।राजस्थान के सबस ‘खतरनाक’ गैंगस्टर को जान का खतरा बना हुआ है। हर समय पुलिस से घिरे होने के बावजूद हर पल ये खतरा मंडराता रहता है कि कभी कोई उसे गोलियों से भून ना डाले।  पुलिस भी इस आशंका की वजह के चलते सतर्क हो गई है। लिहाज़ा इस गैंगस्टर को पेशी में ले जाने के दौरान उसे बाकायदा बुलेट प्रूफ जैकेट पहनाई जाती है।राजस्थान में संभवतया ऐसा पहली बार ही देखने को मिल रहा है जब एक गैंगस्टर को बुलेट प्रूफ जैकेट पहनाकर पेशी पर ले जाया जाता है। पुलिस और कमांडोज़ के पूरे लाव-लश्कर के बीच बुलेट प्रूफ पहने किसी गैंगस्टर की पेशी चर्चा का विषय बनी रही है।
गैंगस्टर राजू ठेहट को आखिर किसका है डर ?

कभी खौफ का पर्याय रहा गैंगस्टर राजू ठेहट फिलहाल जेल में बंद है। उसपर कई संगीन धाराओं के तहत मुकदमे दर्ज़ हैं। लिहाज़ा अलग-अलग मामलों में उसकी पेशी कोर्ट में अक्सर हुआ करती है। लेकिन इन दिनों ठेहट को जान का खतरा बना हुआ है। अंदेशा जताया जा रहा है कि दुश्मन गैंग के गुर्गे कभी भी उसे जान से मार सकते हैं। यही वजह है कि जब भी उसकी पेशी होती है उसे पुलिस और कमांडोज़ के सुरक्षा घेरे के अतिरिक्त बुलेट प्रूफ जैकेट में रखा जाता है।

कोर्ट परिसर छावनी में तब्दील हो जाता है 

कुख्यात गैंगस्टर आनंदपाल की ही तर्ज़ पर गैंगस्टर राजू ठेहट की भी कोर्ट में कड़े सुरक्षा इंतज़ामों के बीच पेशी होती है। जब भी ठेहट को पेशी पर लाया जाता है तब पूरा कोर्ट परिसर पुलिस छावनी में तब्दील हो जाता है। ठेहट के पेशी पर पहुँचने से पहले ही कोर्ट परिसर के अंदर और बाहर चप्पे-चप्पे पर पुलिस तैनात कर दी जाती है। ताकि किसी तरह की अनहोनी यहां भारी न पड़ जाए।
पिछले दिनों ही राजू ठेहट को बुलेट प्रूफ जैकेट पहनाकर परबतसर कोर्ट में पेश किया गया। इस तरह की पेशी देखकर वहां मौजूद लोग हैरत में पड़ गए। फ़िल्मी स्टाइल से हो रही ठेहट की पेशी चर्चा का विषय बनी रहती है।कुछ दिनों पहले राजू ठेहट को एक व्यापारी पर जानलेवा हमले के मामले में पेश किया गया। मामले के अनुसार 10 फरवरी 2015 को कुचामन निवासी नया शहर नारायण अग्रवाल ने कुचामन थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाई थी कि वह सुबह अपने आफिस में बैठा था, तभी अचानक गाड़ी में सवार होकर रिछपाल, लक्ष्मण, भंवर लाल, मुकेश, हरेंद्र हाथों में हथियार लेकर आए और केबिन का कांच तोडकऱ अंदर घुस गए और जानलेवा हमला कर दिया। चिल्लाने पर आसपास के दुकानदार दौड़ कर आए तब तक आरोपी भाग गए। इसके बाद पुलिस ने मामला दर्ज कर अनुसंधान शुरू किया।
मारोठ पुलिस ने हरेंद्र सिंह को पकड़ा तथा इस मामले में पुछताछ में हरेंद्र ने गैंग में शामिल होना कबूल किया। उन्होंने व्यापारी पर जानलेवा हमला राजू ठेहठ के इशारे पर करना बताया। इस जानलेवा हमले में पुलिस ने 307 के मामले में राजू ठेहठ को कड़ी सुरक्षा में एडीजे कोर्ट परबतसर में पेश किया। वहीं राजू ठेहठ पर जान के खतरे के चलते बुलेट प्रुफ जाकेट पहनाकर पेश किया गया। पेशी के दौरान कोर्ट परिसर पुलिस छावनी में तब्दील हो गया। इस दौरान मकराना सीओ सुरेश कुमार , परबतसर सीआई सुभाष चन्द्र सहित बड़ी संख्या में क्यूआरटी जवान मौजूद रहे।
कब से राजू ठेहट को बना हुआ है जान का ख़तरा?

दरअसल, 22 मई 2005 में राजू ठेहट व मोहन मांडोता आदि ने रानोली इलाके में विजयपाल व भंवरलाल के साथ मारपीट की थी। मारपीट के दौरान विजयपाल की मौत हो गई थी। भंवर लाल गंभीर रूप से घायल हो गया था। दोनों आरोपितों को एटीएस ने झारखंड के देवधर से 16 अगस्त को 2013 को पकड़ा था। उस समय दोनों पीले कपड़े पहनकर कावड़ ला रहे थे। एटीएस ने पकडकऱ रानोली थाना पुलिस को दोनों को सौंप दिया था।
दोनों ने घटना के बाद आसाम, बंगाल, झारखंड, महाराष्ट्र सहित देश के अलग-अलग स्थानों पर आठ साल तक फरारी काटी। आरोपितों के खिलाफ संबंधित कोर्ट में चालान पेश किया गया।
भंवरलाल की गवाही ने दिलाई सजा
घटना जून 2005 की थी। आरोपित आठ साल बाद गिरफ्तार हुए। इस दौरान अनेक सबूत व साक्ष्य नष्ट हो गए। पूरे मामले में विजयपाल के साथी भंवरलाल की गवाही ही फैसले का मुख्य आधार बनी। वह कभी अपनी बात से नहीं मुकरा। हमले में खुद भंवरलाल भी घायल हो गया था। वह गवाही नहीं दे सके, इसलिए उसे धमकाया गया था। हमले का प्रयास भी किया गया था, लेकिन चश्मदीद गवाह भंवरलाल अडिग रहा। प्रकरण में अभियोजन पक्ष की ओर से कुल तेरह गवाहों के मौखिक बयान कराए गए। दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में 34 दस्तावेजी साक्ष्य प्रदर्शित किए गए।
अवैध शराब का धंधा हमले का कारण
पहले आरोपित व पीडि़त एक ही गिरोह थे। शराब के धंधे में दोनों गुटों में दुश्मनी हो गई। दोनों एक दूसरे की जान के दुश्मन हो गए। विजयपाल पर हमला भी शराब के धंधे व पुरानी रंजिश के कारण हुआ । विजयपाल व बलवीर बानूडा आपस में रिश्तेदार रहे हैं। इस मामले में रोहिताश बिडोली व सुरेश को उम्र कैद की सजा हो चुकी। आनंदपाल के एनकांउटर के बाद राजू ठेहट व आनंदपाल गैंग के बीच फायरिंग भी हो चुकी है।

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