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सीकर:पत्नी के जरिये युवती को बुलाकर बलात्कार करने वाले पति को कोर्ट ने दी यह सजा

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सीकर. बलात्कार एवं हत्या के प्रयास के मामले को एफएसएल व डीएनए रिपोर्ट के बिना झूठा मानकर अतिम प्रतिवेदन (एफआर) लगाने पर विशिष्ठ न्यायाधीश पोक्सो अनिल कौशिक ने तत्कालीन एएसपी राकेश काछवाल और डीवाइएसपी (ग्रामीण) रामप्रकाश शर्मा को नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा है। दोनों अधिकारियों को 13 मई को न्यायालय में तलब किया गया है। वहीं न्यायालय ने मामले में आरोपी को सात वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। आरोपी राणोली इलाके के कोछोर गांव का निवासी गोपाल जाट है। गोपाल के खिलाफ वर्ष 2011 में 22 जून को राणोली थाने में मामला दर्ज करवाया गया था। मामले के अनुसार 21 जून 2011 को खेत से घर आ रही युवती को गोपाल ने पत्नी के माध्यम से अपने घर में बुलाया। बाद में कमरे में युवती के साथ बलात्कार किया गया। इतना ही नहीं दूसरे दिन तड़के पांच बजे युवती शौच के लिए घर से निकली तो गोपाल व उसके एक साथी ने उसे गांव के कुएं में धकेलने का प्रयास किया। युवती के हो-हल्ला करने पर गोपाल व उसका साथी बाइक पर बैठाकर उसे जीणमाता की पहाडिय़ों से होते हुए बानूडा गांव ले गए। युवती को वहां जोहड़ में पटक दिया। साथ ही जिंदा वापस आने पर उसे जान से जान से मारने की धमकी दी। गनिमत से बानूड़ा गांव में युवती के रिश्तेदार थे। उन्होंने मौके पर पहुंचकर युवती को बरामद किया। बाद में राणोली थाने जाकर मामला दर्ज करवाया।

पुलिस ने लगाई एफआर, न्यायालय ने लिया प्रसंज्ञान
पुलिस ने जांच में इस मामले को झूंठा माना। अतिरिक्त न्यायिक मजिस्ट्रेट क्रम संख्या एक के पास पुलिस ने एफआर अदम वकू झूंठ में पेश कर दी। इस पर पीडि़ता की ओर से नाराजगी याचिका पेश की गई। इस न्यायालय ने प्रसंज्ञान लेकर प्रकरण रजिस्टर में दर्ज कर लिया। बाद में मामला हस्तांतरित होकर विशिष्ठ न्यायाधीश पोक्सो के यहां आया।

किवाड़ के रुपए के लिए कौन लगाएगा बेटी की इज्जत का दाव
मामले में आरोपी के अधिवक्ता का तर्क दिया कि पीडि़ता के परिवार ने आरोपी गोपाल जाट के कारखाने से लोहे के किवाड़ की जोड़ी बनवाई थी। गोपाल पीडि़ता की मां के किवाड़ के पैसे मांगता था। आरोपी रुपए का तकादा नहीं कर सके। इसके लिए दबाव बनाने के लिए पीडि़ता के माध्यम से झूंठा मामला दर्ज करवाया गया है। इस पर न्यायालय का मत रहा कि पीडि़त परिवार ने किवाड़ बनवाना स्वीकार किया है। साथ ही किवाड़ के पैसों का भुगतान करने की भी बात कहीं है। न्यायालय ने कहा कि मात्र किवाड़ के रुपए मांगने एवं नहीं लौटाने जैसी तुच्छ बात को लेकर कोई भी पक्ष अपनी पुत्री की इज्जत दाव पर लगाकर मुकदमा दर्ज नहीं करवाएगा।

पुलिस ने नमूनों की नहीं करवाई डीएनए व एफएसएल जांच
पुलिस ने मामला दर्ज कर पीडि़ता चिकित्सकीय परीक्षण करवाया। इस दौरान आवश्यक नमूने लेकर सीलमोहर किए गए। चिकित्सकों ने उसी दिन नमूने पुलिस को सौंप दिए। लेकिन पत्रावली पर जब्त किए गए नमूनों को एफएसएल एवं डीएनए जांच के लिए भेजने का कोई तथ्य नहीं है। ऐसे में जांच अधिकारी रामप्रकाश शर्मा और राकेश काछवाल की ओर से मामल में लापरवाही बरती जाना प्रकट होता है। बलात्कार जैसे गंभीर मामले में अपराध के संबंध में एफएसएल एवं डीएनए रिपोर्ट उचित सहायक साक्ष्य होती है। लेकिन जांच अधिकारियों ने बिना जांच रिपोर्ट के ही मामले में एफआर लगा दी। न्यायालय ने दोनों अधिकारियों को नोटिस जारी कर 13 मई को तलब किया है।

ऐसे अभियुक्त को दंडित करना न्यायसंगत
न्यायालय ने फैसले में कहा कि समाज में इस तरह के अपराधों में लगातार वृद्धि हो रही है। बालिकाओं का घर से सुरक्षित निकलना दूभर हो गया है। अपराध की गंभीर प्रकृति को ध्यान में रखते हुए ऐसे अभियुक्त को दंडित करना न्याय संगत है। साथ ही कहा कि पीडि़ता की परिसाक्ष्य विश्वसनीय एवं ठोस पाई जाए तो चिकित्सकीय अनुसमर्थन आवश्यक नहीं है। पीडि़ता का कथन अत्यंत विश्वसनीय होता है। उस पर उतना ही ध्यान दिया जाना चाहिए, जितना शारीरिक हिंसा के मामले में क्षतिग्रस्त व्यक्ति पर दिया जाता है। न्यायाधीश अनिल कौशिक ने आरोपी गोपाल जाट को बलात्कार के मामले में सात वर्ष के कठोर करावास और 20 हजार रुपए के अर्थदंड की सजा सुनाई है। मामले में राज्य सरकार की ओर से विशिष्ठ लोक अभियोजक शिवरतन शर्मा ने पैरवी की।

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