आजकल राजस्थान. अजमेर.वन विभाग की ओर से राज्य में वन्यजीवों की वाटर होल पद्धति से संख्या आंकलन ज्येष्ठ महीने की पूर्णिमा यानी शनिवार सुबह 8 बजे से शुरू हो गई। वन कर्मियों ने वाटर हॉल पर पहुंच कर पानी पीने आने वाले वन्य जीवों की निगरानी और गिनती शुरू कर दी है।विभाग की ओर से बाघ, बघेरा एवं अन्य वन्य जीवों की संख्या आकलन इस वर्ष संरक्षित क्षेत्र सरिस्का, रणथंभौर एवं मुकंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व के अतिरिक्त प्रादेशिक वन मंडल एवं महत्वपूर्ण वन्य जीव बाहुल्य क्षेत्रों में वाटर हाल संख्या आकलन पद्धति से कराई जा रही है। यह गणना 19 मई को सुबह 8 बजे तक यानी पूरे 24 घंटे चलेगी।वन विभाग के अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक अरिंदम तोमर ने अजमेर समेत सभी उपवन संरक्षकों को गणना किए जाने वाले वन्य जीवों का विवरण जारी किया है। यह गणना प्रदेश भर में जारी हो चुकी है। अजमेर में आनासागर और फॉयसागर के साथ ही जिले के विभिन्न वाटर हॉल पर वनकर्मी लगाए गए हैं। उपवन संरक्षक सुदीप कौर ने बताया कि गणना में लगे सभी वन कार्मिकों को वन्य जीव का फोटो लेने के भी निर्देश दिए गए हैं।रंगीन चित्रों के साथ दी पुस्तक भी बन रही है मददगारवन्य जीव गणना में लगे वन कार्मिकों को मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक अरिंदम तोमर की ओर से एक पुस्तिका भी दी गई है। इस पुस्तिका के माध्यम से वन कर्मी वन्यजीवों की पहचान कर सकेंगे। तोमर ने बताया कि इस पुस्तिका में प्रयोग किये गये फाेटोज का श्रेय सम्यक रूप से फोटाेज के साथ ही अंकित किया गया है। यह संकलन एस.आर.वी.मूर्थी , वन संरक्षक(वन्यजीव) के निर्देशन में किया गया है। विभाग के अधिकारी विशेषतः अरिजीत बैनर्जी, अति॰ प्रधान मुख्य वन संरक्षक(वन सुरक्षा) एवं गोबिन्द सागर भारद्वाज, अति॰ प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं निदेशक, राजस्थान वानिकी एवं वन्यजीव प्रशिक्षण संस्थान, के.सी.मीणा, मुख्य वन संरक्षक(वन्यजीव) जयपुर, राहुल भटनागर, मुख्य वन संरक्षक(वन्यजीव) उदयपुर, शलभ कुमार, उप वनसंरक्षक एवं प्रावैधिक सहायक, अति. प्रमुवसं(वन्यजीव) जयपुर एवं अन्य अधिकारियाें द्वारा भी फोटो उपलब्ध कराये गये हैं अथवा संकलन में सहयाेग दिया है। वन्यजीव प्रेमियाें में अनिल राेजर्स द्वारा इस पुस्तिका के संकलन में विशेष योगदान दिया गया है।प्रदेश में इन वन्य जीवों की हो रही है गणना1. कार्नीवाेर्स यानी मांसाहारीबाघ, बघेरा, जरख, सियार, जंगली बिल्ली, मरू चिल्ली, मछुआरा बिल्ली, बिल्ली, लोमड़ी, मरू लोमड़ी, भेड़िया, भालू, बिज्जू छोटा, बिज्जू बड़ा, कबर बज्जू, सियार गोश और पैंगोलिन।2. हर्बीबोर यानी शाकाहारीचीतल, सांभर, काला हिरण, रोजड़ा, नीलगाय, चिंकारा, चौसिंगा, जंगली सुअर, सैही, उड़न गिलहरी और लंगूर।3. बर्ड्स यानी पक्षीगोडावण, सारस, राजगिद्ध, गिद्ध, व्हाइट ब्लैक वल्चर, रेड हैडेड वल्चर, इजिप्शियन वल्चर, शिकारी पक्षी और मोर।4.रेप्टाइल्सघड़ियाल, मगर और सांडा।साल में एक बार होती है गणनाविभागीय सूत्राें के मुताबिक वन विभाग साल में एक बार वन्य जीवों की गणना कराता है। यह गणना ज्येष्ठ महीने की चांदनी रात में ही होती है। पूरे 24 घंटे यह गणना चलती है और चांदनी रात में पूरी रात वन कर्मी वन क्षेत्र में ही रुक कर जीवों की पहचान व गणना करते हैं।
राजस्थान में वन्य जीवों की गणना शुरू, बाघ, बघेरा के साथ ही गिद्ध पर भी रहेगी नजर
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