आजकल राजस्थान / जयपुर।
राजस्थान पुलिस अब सम्पूर्ण रूप से हाईटेक होने की तैयारी में है।अब राजस्थान पुलिस ने अपराधियों पर नकेल कसने के लिए आमजन का सहारा लिया है। पुलिस मुख्यालय का मानना है कि अपराधियों की सूचना आम आदमी को होती तो है, लेकिन वे डरकर या अपनी पहचान उजागर होने की आशंका पर अपराधियों की जानकारी पुलिस वालों से साझा नहीं करते। इससे अपराधियों को पकड़ना बेहद मुश्किल होता है और बेखौफ अपराधी एक के बाद एक अन्य वारदात को अंजाम देते हैं।
पुलिस मुख्यालय ने अब अपनी राजस्थान पुलिस वेबसाइट ( Rajasthan Police Website ) पर एक लिंक साझा किया है। इस लिंक ( link ) पर दो तरह की जानकारी आमजन से मांगी है। आमजन अपनी पहचान उजागर किए बिना अपराधियों की सूचना इस लिंक पर साझा कर सकते हैं, जो पुलिस मुख्यालय को सीधी मिल जाएगी।
गम्भीर अपराध :
पुलिस मुख्यालय की ओर से जघन्य अपराध होने के बाद अज्ञात हमलावरों की जानकारी के लिए यह लिंक साझा की गई है। इसमें अपराध की जानकारी दी गई है साथ ही उस अपराध को अंजाम देने वाले बदमाशों की सूचना को भी लिंक पर दिया गया है। इस लिंक पर कोई भी अपराध से संबंधित बदमाश की सूचना दे सकता है। जबकि सूचना देने वाले को अपना नाम, पता और कुछ भी जानकारी शेयर नहीं करनी है।
यह है दूसरा तरीका :
पुलिस मुख्यालय ने दूसरे तरीके में अपराधियों की सूचना मांगी है। आमजन को किसी बदमाश ने क्या अपराध किया, इसकी जानकारी नहीं है, लेकिन उनको बदमाश के बारे में सूचना है। आमजन को यह भी आशंका है कि यह अपराध कर सकता है और करता आया है। तब दूसरे लिंक पर आमजन अपना नाम और पता बताए बिना उक्त बदमाश की सूचना पुलिस मुख्यालय से साझा कर सकते हैं।
निचले स्तर तक भी पहुंच सकेंगे डीजीपी के निर्देश
पुलिस महानिदेशक कपिल गर्ग द्वारा जारी दिशा निर्देश बेड़े में शामिल निचले स्तर के पुलिस अधिकारी तक सीधे पहुंच सकेंगे। इससे डीजीपी और पुलिस मुख्यालय द्वारा जारी दिशा निर्देशों की अच्छी तरह से पालना करवाई जा सके। इसके लिए पुलिस मुख्यालय ने मोबाइल ऐप बनाया है। स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो इस ऐप को शुरू करने से पहले अभी पूर्वाभ्यास कर रही है। जल्द ही यह ऐप सभी पुलिस अफसरों के मोबाइल में डाउनलोड करवा दिया जाएगा। स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के डीआइजी शरत कविराज यह जटिल रेडियो ब्रॉड कास्ट है। इससे सभी पुलिसकर्मियों को एक साथ आवाज और टेक्स्ट मैसेज से संदेश भेजा जा सकेगा। पीएचक्यू के जारी सर्कुलर और अन्य आदेशों की जानकारी भी फील्ड में काम करने वाले पुलिस अफसरों तक तुरंत पहुंच जाएगी। इसी माह यह ऐप पुलिस विभाग के लिए शुरू कर दिया जाएगा।