आजकलराजस्थान / झुंझुनूं
पाॅक्साे काेर्ट में दुष्कर्म मामला झूठा निकला।जिस पर पीड़िता को दी गई तीन लाख रुपए की आर्थिक सहायता वापस वसूलने के आदेश दिए हैं। साथ ही न्यायालय ने इस बात पर आश्चर्य भी जताया है कि प्रशासन बिना किसी जांच-पड़ताल के कैसे इतनी बड़ी रकम जारी कर सकता है।
यह मामला सितंबर 2018 का है।अनुसूचित जाति की एक युवती के पिता ने एक युवक के खिलाफ अपनी बेटी से दुष्कर्म का मामला दर्ज करवाया था। खास बात ये है कि मामले को लेकर न्यायालय में आरोप पत्र 16 जनवरी 2019 को भेजा गया था, लेकिन कलेक्टर के पत्र के आधार पर युवती को 75 प्रतिशत राशि (तीन लाख रुपए) का भुगतान 24 सितंबर 2018 को कर दिया गया था।
पुलिस ने इस संबंध में मामला दर्ज कर मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान करवाए तो पीड़िता ने कहा कि वह अपनी मौसी के साथ जयपुर चली गई थी। पिता ने पीछे से रिपोर्ट दर्ज करवा दी। आरोपी उसका दोस्त है। वह उसे कहीं लेकर नहीं गया और न ही उसके साथ कोई गलत काम किया।
जांच के दौरान पीड़िता व उसके माता-पिता ने युवती का मेडिकल मुआयना करवाना से भी मना कर दिया, लेकिन पुलिस ने शक के आधार पर ही आरोपी विवेक उर्फ विक्की उर्फ धोलिया के विरुद्ध पोक्सो व अनुसूचित जाति, जनजाति अधिनियम में आरोप पत्र पेश कर दिया।न्यायालय ने विवेक को 3 जून 2019 को बरी कर दिया। सुनवाई के दौरान सामने आया कि प्रशासन पीड़िता के परिवार को आर्थिक सहायता के रूप में तीन लाख रुपए दे चुका है। इस पर न्यायाधीश सुकेश कुमार जैन ने शुक्रवार को झुंझुनूं कलेक्टर को आदेश दिया कि बिना जांच किए ही दी गई राशि को वापस वसूला जाए और समय पूर्व किए गए भुगतान की जांच कर दो माह में रिपोर्ट दी जाए।
न्यायालय ने इस तरह से आर्थिक सहायता के नाम पर जल्दबाजी में रूपये देने पर भी सवाल उठाए हैं। न्यायाधीश ने अपनी टिप्पणी में लिखा है कि यह भी जांच का विषय है कि कहीं इस तरह की राहत राशि अदा करने में भ्रष्टाचार का खेल तो नही चल रहा है। न्यायालय ने आदेश की एक प्रति सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग, विधि विभाग तथा राजस्थान विधिक सेवा प्राधिकरण को भी भेजने का भी आदेश दिया है।